ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में अंतरधर्म विवाह की इच्छा लेकर एक प्रेमी जोड़ा सुरक्षा की मांग लेकर गया। प्रेमी जोड़ा करैरा का रहने वाला है. हाई कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के दौरान पूछा कि लड़का हिंदू है और लड़की मुस्लिम, क्या दोनों शादी कर सकते हैं.
इस पर मामले में पैरवी कर रहे अधिवक्ता अनिल मिश्रा ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का अंतर किसी भी धर्म के आधार पर नहीं किया जा सकतानम.
ही उसे शादी करने से रोका जा सकता है. हमारा संविधान देश के हर एक नागरिक को बतौर मौलिक अधिकार यह सुविधा देता है कि वो किसी के भी साथ विवाह कर सकता है.
वहीं जब बात सुरक्षा की आई तो शासन की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता रविंद्र दीक्षित ने कहा कि देश के हर व्यक्ति को सुरक्षित जीवन जीने का अधिकार है ऐसे में संविधान के अनुसार याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा दी जाना चाहिए.
कोर्ट ने इस मामले में तर्क सुनकर शिवपुरी के एसपी को आदेश दिया कि शादी के पंजीकृत करवाने से लेकर हर एक तारीख पर याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान की जाए.
कोई शिकायत मिले, तो पहले युवती के बयान हो दर्ज
याचिकाकर्ता अधिवक्ता आशीष जादौन ने बताया कि करैरा के रहने वाले एक प्रेमी जोड़े ने शादी करने के लिए हाईकोर्ट से सुरक्षा मांगी है. इस पर सुनवाई के दौरान मुस्लिम ला की धारा 259 पर भी विमर्श किया गया.
कोर्ट ने यह पाया कि हिंदू युवक और मुस्लिम युवती की शादी अमान्य नहीं हो सकती, ऐसे में वो स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 4 के अंतर्गत शादी भी कर सकते हैं और उसे पंजीकृत भी करवाया जा सकते है.
इस मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि अगर युवक के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज की गई है या भविष्य में की जाती है तो उसमें पहले युवती के बयान दर्ज किए जाएं और पड़ताल करने के बाद ही कार्रवाही की जाए.