श्रावस्ती: एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में न्यायालय ने दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया. जुर्माना न भरने पर अतिरिक्त कारावास होगा.
त्वरित सुनवाई के बाद सजा सुनाई गई हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले सुनवाई पर रोक लगा दी थी. बालिका संग दुष्कर्म के दोषी को न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. तीन लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है. अर्थदंड अदा न करने पर दोषी को नौ माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना हाेगा. मात्र साढ़े चार माह में त्वरित सुनवाई के बाद न्यायालय ने आरोपित को सजा सुनाई है. इस मामले में पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पर दो सप्ताह की रोक भी लगा दी थी.
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) सत्येंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि नौ मई को इकौना क्षेत्र के एक गांव की सात वर्षीय बालिका को सेमगढ़ा गांव निवासी छोटकऊ उर्फ अलाउद्दीन अपने बिना नंबर लिखे ई-रिक्शा पर रात में लगभग नौ बजे जबरदस्ती उसे पकड़कर बिठा लिया और लेकर चला गया था. मोहनीपुर के पास ले जाकर बालिका के साथ जबरदस्ती दुष्कर्म किया था.
बालिका खून से लथपथ झाड़ियों में पड़ी मिली थी। इस मामले में पीड़िता के पिता की तहरीर पर इकौना थाने में दुष्कर्म समेत विभिन्न गंभीर धाराओं में मामला दर्ज हुआ. पुलिस ने विवेचना के बाद सात सौ पन्ने की केस डायरी न्यायालय पर प्रस्तुत किया। विचारण व सुनवाई के बाद अपर सत्र न्यायाधीश (रेप एलांग विथ पाक्सो) निर्दोष कुमार ने आरोपित को दोष सिद्ध ठहराते हुए सजा सुनाई है.
उन्होंने बताया कि वर्ष 2011 में भी एक छह वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म व हत्या करने के मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने आरोपित को फांसी की सजा सुनाई थी। उच्च न्यायालय ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे तकनीकी आधार पर बरी कर दिया था.
आरोपित की पैरवी नालसा यूनिवर्सिटी आफ तेलंगाना की ओर से नियुक्त सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं की ओर से की जा रही थी। उन्होंने बताया कि दोषी को शेष प्राकृतिक जीवन काल तक की आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.