भरतपुर: राजस्थान की पिछली सरकार के कार्यकाल में विभिन्न सरकारी विभागों में हुई भर्तियों के दौरान ऐसे कई उम्मीदवारों का चयन हुआ, जिन्होंने फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर दिव्यांग कोटा में नौकरी प्राप्त की. इनमे कुछ अभ्यर्थियों ने मूक-बधिर जैसी गंभीर दिव्यांगता का फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया. विकलांगता के मेडिकल सर्टिफिकेट लगाकर सरकारी नौकरी प्राप्त की थी. ऐसा ही एक मामला भरतपुर जिले के बयाना में सामने आया है. जहां गवर्नमेंट कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त सवाई सिंह गुर्जर ने फर्जी मेडिकल सेर्टिफिकेट लगाकर नौकरी हासिल की थी.
करीब तीन वर्ष पहले नौकरी पर लगा सवाई सिंह गुर्जर हियरिंग डिसेबिलिटी मेडिकल सर्टिफिकेट के जरिये सरकारी नौकरी पर लगा था लेकिन, अब उसके बहरे होने की जांच की गई तो वह अयोग्य पाया गया है. एसओजी इस मामले जांच कर रही है. बयाना महाविद्यालय में तैनात इंग्लिश सब्जेक्ट का असिस्टेंट प्रोफेसर सवाई सिंह गुर्जर, करौली का रहने वाला है. जो राजकीय महाविद्यालय बयाना में दिसंबर 2022 से असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है.
बता दें कि हाल ही में राजस्थान सरकार के निर्देश पर SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) ने दिव्यांगता सर्टिफिकेट से नौकरी पाने वाले कर्मचारियों की जांच की थी. इसमें बयाना के गवर्नमेंट कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर सवाई सिंह गुर्जर को जांच के लिए जयपुर के SMS हॉस्पिटल बुलाया गया था. जिसमें उसके कान का मेडिकल (BERA जांच) 29.07.2025 को हुआ और, फिर इसके बाद 06.08.2025 को SOG ने अपने एक प्रेस नोट में 24 फर्जी अभ्यर्थियों की सूची में सवाई सिंह गुर्जर का नाम भी शामिल किया गया.
हालांकि प्रेस नोट में उसकी दिव्यांगता 0% नहीं दर्शाई गई, लेकिन उसे अयोग्य करार दिया गया. गौरतलब है कि सवाई सिंह ने 2018 में ऑनलाइन माध्यम से दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी किया था, जिसके आधार पर उसे राजकीय महाविद्यालय बयाना में अंग्रेजी विषय के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति मिली थी.
सवाई सिंह का दावा है कि उन्होंने नौकरी हियरिंग इमपेयरमेंट कैटेगरी से ही हासिल की और यह गलती पूरी तरह टेक्निकल है. इसे जानबूझकर नहीं किया गया है. उनका कहना है कि जब ऑडियोलॉजिस्ट कंचन ने रिपोर्ट पर उसके साइन करवाए थे, तब इसका पता चला. फिर भी SOG ने फर्जी अभ्यर्थियों की लिस्ट में मेरा नाम अयोग्य बता दिया.यह सिर्फ एक कम्प्यूटर एरर वाली मिस्टेक है, जिसमें कोई गलत नहीं है.
डॉ कुलदीप सोनी MBBS MS ENT ने बताया कि, श्रवण दिव्यांगता का पता लगाने के लिए दो तरफ की विधियां अपनाई जाती हैं. पहली ऑडियो मैट्री होती है जिसमें व्यक्ति द्बारा झूठ बोलने की संभावना रहती है. क्योंकि यह सब्जेक्टिव परीक्षण विधि है. इसमें दूसरी विधि BERA होती है जो, कि व्यक्ति के रेस्पॉन्स से बिल्कुल अलग होती है और, इसमें व्यक्ति की श्रवण शक्ति का वास्तविक रूप का पता चलता है. इसलिए विकलांगता की सत्यता जानने के लिए बेरा एक मानक विधि के तौर पर अपनाई जाती है.