आलोक जायसवाल और रंजुला पटेल दोनों ना तो बोल सकते हैं और ना ही सुन सकते हैं, दोनों शनिवार को विवाह के बंधन में बंधे। रायपुर की कोपलवाणी संस्था में पले-बढ़े आलोक और रंजुला की शादी समता कॉलोनी स्थित गायत्री शक्तिपीठ में कराई गई।
शक्तिपीठ के परिव्राजक नीलम सिंह सिन्हा ने मंत्रोच्चार के साथ सनातन संस्कृति में होने वाले विवाह के सारे रीति-रिवाज संपन्न कराए। खास बात ये है कि जोड़े को शादी की सारी रस्में साइन लैंग्वेज के जरिए समझाई गईं।
साइन लैंग्वेज के जरिए समझाई शादी की रस्में
आलोक और अंजुला मूक-बधिर हैं, लिहाजा दोनों को शादी की रस्में साइन लैंग्वेज से समझाई गईं। संस्था की इंटरप्रेटर अंजलि देशपांडे इस दौरान पुरोहित के मंत्राच्चारणों और विधि को इशारों से समझाती गईं। वरमाला से लेकर सात फेरे और सातों वचन जोड़े को सांकेतिक भाषा में समझाए गए, इस तरह से विवाह संपन्न हुआ।
इस जोड़े की शादी में कई संस्थाओं ने भी सहयोग किया। कोपलवाणी की संस्थापिका पद्मा शर्मा ने बताया कि साज-सजावट के साथ खाने की व्यवस्था का जिम्मा संस्थाओं ने उठाया। इसस पहले भी संस्था ने एक मूक-बधिर जोड़े की शादी कराई है।
आलोक-रंजुला कोपलवाणी में ही पले-बढ़े
इन दोनों को भी कोपलवाणी ने ही पाला। रंजुला कोपलवाणी में भर्ती होने वाली पहली लड़की है। तब उसकी उम्र 5 या 6 साल थी। गुंडरदेही निवासी रंजुला की मां का बचपन में ही निधन हो गया था। पिता उसे छोड़कर कहीं और चले गए। निजी नौकरी कर रहे भाई ने रंजुला को कोपलवाणी में भर्ती कराया।
यहीं से उसने पहली कक्षा से लेकर ग्रेजुएशन किया और अब नौकरी कर रही है। वहीं, कसडोल निवासी आलोक के पिता के निधन के बाद मां चाय का ठेला लगाती थीं। आर्थिक तंगी की वजह से मां ने आलोक को 5 साल की उम्र में संस्था में भर्ती कराया।
पढ़ाई पूरी करने के बाद आलोक अब निजी कंपनी में काम कर रहा है। शादी के बाद दोनों अब गुढ़ियारी में किराए के घर में रहेंगे।
संस्था ने किया कन्यादान
संस्था की रागिनी सिंह और उनके पति जेपी सिंह ने रंजुला का कन्यादान किया। आलोक और रंजुला की शादी में संस्था के सदस्य ही घराती और बाराती बने। इसमें रीना पटनायक, सुनीता चौसरिया और शेषा सक्सेना ने वधु पक्ष की भूमिका निभाई। वहीं आलोक की ओर से उनकी मां कमला जायसवाल के साथ संस्था की मधु जैन, अंजलि देशपांडे और नीता विश्वकर्मा शामिल हुईं।