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मुखाग्नि देने भी नहीं आया…वृद्धाश्रम में पिता की चप्पल मांगने पहुंचा करोड़पति बेटा, बोला- ‘सपने में आते हैं पापा’

आज से पितृपक्ष शुरू हुआ है. इस समय मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कुछ लोग वृद्धाश्रमों के चक्कर काटने में लगे हैं. यह लोग अपने माता पिता की निशानी मांगने आ रहे हैं. यह वही लोग हैं, जिनके माता पिता की वर्षों पहले मौत हो चुकी है. उस समय इन्हें सूचना दी गई तो वह मुखाग्नि देने भी नहीं आए थे. लेकिन अब उन्हें अपने पिता को पिंडदान करना है. उन्हें तर्पण करना है. ऐसे हालात में किसी शायर की कुछ पंक्तियां सहज ही याद आ जाती हैं.

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इस शायर ने लिखा है कि ‘चार किताबें पढ़ मेरा बेटा समझदार हो गया, मुझे वृद्धाश्रम में छोड़ कर फरार हो गया, जिस पौधे को गुलाब समझ के सींचा था उम्र भर, बड़ा होकर वो बबूल जैसा कांटेदार हो गया, मीठी नदियां दी थी, जिसे तोहफे में मैंने जाने क्यों उसकी आंखों का पानी खार हो गया’. भोपाल के आसरा वृद्धाश्रम की मैनेजर राधा चौबे के मुताबिक इस वृद्धाश्रम में तो हर साल पितृपक्ष के दौरान यह स्थिति देखने को मिलती है. इन 15 दिनों में बड़ी बड़ी गाड़ियों में लोग आते हैं और अपने माता पिता के बारे में पूछताछ करते हैं.आग्रह करते हैं कि उनके माता पिता की कोई भी निशानी हो तो उन्हें दे दी जाए, ताकि उनका तर्पण किया जा सके.

सूचना देने के बाद भी नहीं आए मुखाग्नि देने

राधा चौबे के मुताबिक जिन बुजुर्गों की निशानी यहां होती है, वह दी भी जाती है, लेकिन हैरानी की यह बात यह है कि यह वही वंशज हैं, जो अपने माता पिता को मुखाग्नि देने भी नहीं आए. उस समय तो बुजुगों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था आश्रम की ओर से की गई और आश्रम की ओर से ही उन्हें मुखाग्नि भी दी गई. अब इतने वर्षों बाद लोगों को अपने माता पिता की याद आई है और यह निशानी मांगने यहां चक्कर काट रहे हैं. उन्होंने बताया कि एक बुजुर्ग की सालों पहले मौत हो गई थी. अब उनका बेटा यहां चप्पल मांगने के लिए पीछे पड़ गया है.

पैसा बचाने के लिए मौत के समय नहीं आते लोग

वह कहता है कि उसके पिता आए दिन सपने में दिखते हैं और बिना चप्पल के देखते हैं. इसी प्रकार अपना घर वृद्धाश्रम की संचालिका कहती हैं कि कई लोग तो बीमारी या निधन की सूचना मिलने पर केवल इसलिए नहीं आते कि उन्हें अंतिम संस्कार के लिए पैसा खर्च करना पड़ेगा.लेकिन बाद में निशानी मांगने जरूर आ जाते हैं. दरअसल उन्हें डर लगता है कि कहीं मृतात्मा उन्हें परेशान ना करने लगे. इस समय भोपाल के श्री हरि वृद्धाश्रम में 53, अपना घर वृद्धाश्रम में 24, आसरा वृद्धाश्रम में 85, आनंद धाम वृद्धाश्रम में 22 और यशोदा वृद्धाश्रम में 18 बुजुर्ग रह रहे हैं.

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