उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक बेटे द्वारा अपनी मां के साथ दुष्कर्म करने का मामले में अदालत ने आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है. मामले में 9 मार्च 2025 को पीड़िता अपने घर में अकेली थी. इस दौरान उसका बेटा शराब के नशे में धुत होकर चाकू लेकर घर पहुंचा और मां के साथ दुष्कर्म किया. पीड़िता किसी तरह कमरे की कुंडी खोलकर बाहर निकली और रोने लगी. उसी समय वहां पहुंचे उनके बीएससी में पढ़ने वाले पौत्र (आरोपी के बेटे) को दादी ने सारी बात बताई.
पौत्र ने तुरंत यूपी-112 पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. मामले की जांच के बाद 18 मार्च को पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. 19 जून को आरोप तय किए गए, और पीड़िता, उनके पौत्र सहित चार गवाहों ने कोर्ट में अपनी गवाही दी. गवाहों के बयान और साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई.
आपराधी के लिए कोई सहानुभूति नहीं
अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता जितेंद्र कुमार पांडेय ने पैरवी की. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मां और बेटे का रिश्ता जन्म से पहले, नौ माह तक गर्भ में पलने से शुरू होता है. यह रिश्ता पवित्र और सामाजिक मर्यादा का आधार है. शराब के नशे में भी ऐसा घृणित कृत्य करने वाला बेटा किसी सहानुभूति का हकदार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के अपराध ने सामाजिक मूल्यों को तार-तार किया है.
मिली उम्र कैद की सजा
जितेंद्र कुमार पांडेय ने कहा कि यह फैसला समाज में एक कड़ा संदेश देता है कि मर्यादा और नैतिकता को ठेस पहुंचाने वाले अपराधों को बख्शा नहीं जाएगा. फास्टट्रैक कोर्ट की त्वरित कार्रवाई ने पीड़िता को जल्द न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मामले में फास्टट्रैक कोर्ट 41 के विशेष न्यायाधीश पीयूष सिद्धार्थ ने मां के साथ दुष्कर्म करने वाले एक बेटे को उम्रकैद की सजा सुनाई है.
इसके साथ ही दोषी पर 35 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, जिसमें से आधी राशि पीड़िता को दी जाएगी. कोर्ट ने पीड़िता को अतिरिक्त क्षतिपूर्ति के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को संस्तुति भेजी है. इस मामले में मात्र छह माह में विचारण पूरा कर सजा सुनाई गई.