भारतमाला प्रोजेक्ट…दशमेश डेवलपर्स के ऑफिस में EOW की दबिश:दस्तावेज खंगाल रहे अफसर, जमीन टुकड़ों में बांटकर 43 करोड़ का किया गया घोटाला

भारत माला प्रोजेक्ट गड़बड़ी मामले में ACB-EOW ने बुधवार को तेलीबांधा स्थित दशमेश डेवलपर्स के ऑफिस में दबिश दी। जहां ऑफिस में 5-6 अफसर दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं। मुआवजा राशि गड़बड़ी में कई बिल्डर्स की भूमिका रही है। इनमें से दशमेश इन्स्टा वेंचर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का भी नाम है।

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इससे पहले, 25 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के कई जगहों पर छापेमार कार्रवाई की गई थी। करीब 17 से 20 अधिकारियों में SDM, तहसीलदार, पटवारी और राजस्व निरीक्षक समेत राजस्व विभाग के कई अफसरों के यहां जांच की गई थी। इस दौरान रायपुर में दशमेश इन्स्टा वेंचर के दफ्तर को सील किया था।

दशमेश इन्स्टा वेंचर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में भावना कुर्रे और हरमीत सिंह खनूजा डायरेक्टर है। भावना अभनपुर के तत्कालीन तहसीलदार शशिकांत कुर्रे की पत्नी हैं। 26 अप्रैल से खनूजा EOW की गिरफ्त में है।

4 आरोपियों को EOW ने किया था गिरफ्तार

वहीं, भारत माला प्रोजेक्ट गड़बड़ी मामले में EOW की टीम ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। जिसमें उमा तिवारी, केदार तिवारी, विजय जैन और हरमीत खनूजा शामिल है। 26 अप्रैल को सभी को कोर्ट में पेश किया गया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने चारों आरोपियों को 1 मई तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। EOW के अधिकारी उनसे पैसे गबन मामले में पूछताछ कर रहे हैं।

अधिकारियों के ठिकाने पर हुई थी छापेमारी

बता दें कि, 25 अप्रैल को EOW ने छत्तीसगढ़ के 17 से 20 अधिकारियों के ठिकाने पर छापेमार कार्रवाई की थी। इनमें SDM, तहसीलदार, पटवारी और राजस्व निरीक्षक समेत राजस्व विभाग के कई अधिकारी शामिल हैं। इनके ठिकानों पर जांच कर दस्तावेजों को जब्त किया गया था।

EOW ने रायपुर, महासमुंद, दुर्ग और बिलासपुर में रेड मारी थी। जिसमें निर्भय कुमार साहू, जितेन्द्र कुमार साहू, दिनेश पटेल, योगेश कुमार देवांगन, शशिकांत कुर्रे, लेखराम देवांगन, लखेश्वर प्रसाद किरण, बसंती धृतलहरे, रोशन लाल वर्मा, हरमीत सिंह खनूजा, उमा तिवारी, विजय जैन, दशमेश इन्ट्रावेंचर प्रा. लि., हृदय लाल गिलहरे और विनय कुमार गांधी के ठिकाने शामिल हैं।

जानिए क्या है भारतमाला परियोजना ?

भारतमाला परियोजना एक राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना हैं, जो भारत सरकार की है। इसके तहत नए राजमार्ग के अलावा उन परियोजनाओं को भी पूरा किया जाएगा जो अब तक अधूरे हैं। इसी के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक करीब 463 किमी लंबी नई फोरलेन सड़क बनाई जा रही है।

अब जानिए कैसे हुआ घोटाला ?

भारत-माला प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण मामले में 43 करोड़ का घोटाला हुआ है। जमीन को टुकड़ों में बांटकर NHAI को 78 करोड़ का भुगतान दिखाया गया। SDM, पटवारी और भू-माफिया के सिंडिकेट ने बैक डेट पर दस्तावेज बनाकर घोटाले को अंजाम दिया।

कुछ दिनों पहले इस केस में दैनिक भास्कर डिजिटल में खबर छपने के बाद कोरबा डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे को सस्पेंड किया गया था। इसके पहले जगदलपुर निगम कमिश्नर निर्भय साहू को सस्पेंड किया गया था।

शशिकांत और निर्भय पर जांच रिपोर्ट तैयार होने के 6 महीने बाद कार्रवाई हुई थी। निर्भय कुमार साहू सहित 5 अधिकारी-कर्मचारियों पर 43 करोड़ 18 लाख रुपए से अधिक राशि की गड़बड़ी का आरोप है।

जमीन को टुकड़ों में बांटा, 80 नए नाम चढ़ाए

राजस्व विभाग के मुताबिक, मुआवजा करीब 29.5 करोड़ का होता है। अभनपुर के ग्राम नायकबांधा और उरला में भू-माफिया ने राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर जमीन को छोटे टुकड़ों में काटकर 159 खसरे में बांट दिया। मुआवजा के लिए 80 नए नाम रिकॉर्ड में चढ़ा दिए गए। इससे 559 मीटर जमीन की कीमत करीब 29.5 करोड़ से बढ़कर 78 करोड़ रुपए पहुंच गई।

अभनपुर बेल्ट में 9.38 किलोमीटर के लिए 324 करोड़ मुआवजा राशि निर्धारित की गई। जिसमें से 246 करोड़ रुपए मुआवजा दिया जा चुका है। वहीं 78 करोड़ रुपए का भुगतान अभी रोक दिया गया है।

बैक डेट पर दस्तावेजों में गड़बड़ी करने की पुष्टि

अवर सचिव के निर्देश पर बनी जांच रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है, कि अभनपुर इलाके में पदस्थ अधिकारियों ने बैक डेट में जाकर दस्तावेजों में गड़बड़ी की और जमीन मालिक को नुकसान पहुंचाया। इसका खुलासा इस बात से अफसरों ने किया, कि अभनपुर के ग्राम नायक बांधा और उरला में 4 एकड़ जमीन एक परिवार के पास थी।

वही जमीन सर्वे होने के ठीक कुछ दिन पहले एक ही परिवार के 14 लोगों के नाम पर बांट दी गई। इसके बाद एक ही परिवार के सदस्यों को 70 करोड़ रुपए मुआवजा भुगतान कर दिया गया। जांच अधिकारियों ने तत्कालीन अफसरों की इस कार्यप्रणाली का सीधा जिक्र अपनी जांच रिपोर्ट में किया है।

NHAI की टीम ने भी जताई थी आपत्ति

रायपुर विशाखापट्नम इकोनॉमिक कॉरिडोर में हुई आर्थिक गड़बड़ी पर NHAI के अधिकारियों ने भी आपत्ति जताई थी। एनएचएआई की आपत्ति के बाद जांच रिपोर्ट को सचिव राजस्व विभाग को भेजा गया था और मुआवजा वितरण रोका गया था।

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