3 बच्चों वाली पाठशाला, जिनकी पढ़ाई पर खर्च होते हैं 12 लाख… गजब है इस सरकारी स्कूल की कहानी

छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था की एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है. यहां के धमतरी जिले के एक सरकारी स्कूल में केवल तीन बच्चे पढ़ रहे हैं, जिनको पढ़ाने के लिए दो शिक्षक हैं. एक हेड मास्टर और दूसरा सहायक शिक्षक. शिक्षा विभाग इस सरकारी स्कूल के संचालन पर सालाना लाखों रुपये खर्च कर रहा है. ये प्राइमरी स्कूल धमतरी जिले के नाथूकोन्हा में है.

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इस स्कूल में पहली से पांचवी तक क्लास संचालित हो रही है, लेकिन स्कूल में पढ़ने के लिए बच्चे ही नहीं है. यहां केवल 3 बच्चे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. तीनों बच्चे कक्षा एक में पढ़ रहे हैं, जिनको पढ़ाने के लिए एक हेड मास्टर और एक सहायक शिक्षक है. इन दोनों शिक्षकों पर शिक्षा विभाग सालाना 10 से 12 लख रुपए खर्च कर रहा है. इसके अलावा स्कूल के रखरखाव, स्टेशनरी, पोषण आहार, बिजली-पानी और अन्य खर्चे अलग हैं.

स्कूल के हेडमास्टर ने क्या बताया?

सुबह 9 बजकर 45 मिनट पर स्कूल शुरू हो जाता है. फिर शाम चार बजे तक यहां तीनों बच्चों को पढ़ाया जाता है. वहीं इस गांव में आंगनबाड़ी की बिल्डिंग नहीं होने के कारण आंगनबाड़ी के बच्चे और कार्यकर्ता भी इस स्कूल में शरण लिए हुए हैं. आंगनबाड़ी के बच्चे भी इस स्कूल में पढ़ाई करते हैं. नाथूकोन्हा के प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर ईश्वर लाल नेताम ने बताया कि इस प्राइमरी स्कूल में तीन बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं.

गांव में नहीं हैं बच्चे

हेड मास्टर ने बताया कि गांव मे बच्चे नहीं होने के चलते इस स्कूल में हम केवल तीन बच्चों को पढ़ाई करा रहे हैं. मिड डे मील भी बच्चों को खिलाया जा रहा है. बीते वर्ष इस स्कूल में कक्षा दो में एक बच्चा और कक्षा पांच में 4 बच्चे थे. वो सभी पास होकर मिडिल स्कूल में चले गए हैं. आंगनबाड़ी की बिल्डिंग नहीं होने के कारण उनके बच्चे भी स्कूल के एक कमरे में बैठकर पढ़ाई करते हैं.

शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने क्या कहा?

वहीं गांव के सरपंच अकबर मंडावी बताते हैं कि गांव की जनसंख्या करीब 150 की है. गांव मे छोटे उम्र के बच्चे नहीं है. तीन बच्चे हैं, वो प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई करते हैं. बाकी बच्चे बड़े हैं. वो मिडिल स्कूल केरेगांव जाते हैं. हमारे गांव में शिक्षित लोग हैं. इस पर जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि शासन के निर्देशानुसार वनांचल इलाके के सरकारी स्कूल में अगर बच्चों की संख्या नगण्य भी रहे या दो-तीन बच्चे भी रहें तो उनके लिए शिक्षक नियुक्त रहेंगे.

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