अमेठी: विजयदशमी के अवसर पर जिलेभर में लगे दशहरा मेलों में इस बार जबरदस्त रौनक देखने को मिली. जगह-जगह रावण दहन के कार्यक्रम हुए तो वहीं मेलों में दिनभर लोगों की चहल-पहल बनी रही. झूले, खिलौने, मिठाइयों और दुकानों से सजा मेला बच्चों और बड़ों के लिए आकर्षण का केंद्र बना.
दशहरा मेले की भीड़ में हर वर्ग के लोगों ने अपने-अपने ढंग से त्योहार का आनंद लिया। युवाओं में खासा उत्साह देखा गया। मेले का माहौल केवल खरीदारी और मनोरंजन तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि यहां कई प्रेमी-प्रेमिकाओं के मिलने का भी अवसर बन गया. भीड़-भाड़ और शोरगुल के बीच युवाओं ने एक-दूसरे से मिलने और समय बिताने का मौका तलाशा.
स्थानीय लोगों का कहना है कि दशहरा मेला गांव और कस्बों की सांस्कृतिक परंपरा को जीवित रखता है. यहां न सिर्फ धार्मिक और सामाजिक गतिविधियां होती हैं बल्कि मेलों के बहाने लोग आपसी रिश्तों और जान-पहचान को भी मजबूत करते हैं. देर रात तक मेला मैदान लोगों की भीड़ और रौनक से गुलजार रहेगा, वहीं युवाओं के बीच एक अलग ही नजारा देखने को मिला. मेले की भीड़ में कई प्रेमी-प्रेमिकाओं की मुलाकातें लोगों की चर्चा का विषय बन गईं.
प्रेमी-प्रेमिकाओं ने भी एक-दूसरे से मिलने का मौका तलाशा
ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह के मेले युवाओं के लिए मुलाकात का माध्यम बन जाते हैं। शोरगुल और भीड़ के बीच कई जोड़े हाथों में हाथ डाले टहलते नजर आए, तो कुछ दुकान और झूलों पर साथ समय बिताते देखे गए. स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले के समय में भी मेले युवाओं के मिलने-जुलने का जरिया हुआ करते थे और आज भी यह परंपरा कहीं न कहीं जीवित है.
हालांकि, मेले में आए परिवारों का कहना था कि सार्वजनिक स्थल पर प्रेमी-प्रेमिकाओं की ऐसी मुलाकातें अक्सर लोगों के आकर्षण और गुपचुप चर्चाओं का कारण बन जाती हैं.
रात तक गुलजार रहे दशहरा मेले ने जहां धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल को जीवित रखा, वहीं प्रेमी-प्रेमिकाओं की मौजूदगी ने मेले की रौनक में अलग ही रंग भर दिया.