न्याय का सौदा करने की शर्मनाक कोशिश, पीड़ित छात्राओं पर बनाया जा रहा दबाव…ऑफर किए जा रहे हैं पैसे

भोपाल: भोपाल का बहुचर्चित दुष्कर्म-ब्लैकमेलिंग कांड एक बार फिर समाज और सिस्टम के चेहरे से नकाब हटा रहा है। धर्म के नाम पर छात्राओं को निशाना बनाकर उनका यौन शोषण करने और वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करने वाले आरोपितों के परिवार, जिन्हें अपने बच्चों के इस दुष्कृत्य पर शर्मसार होने चाहिए वे पीड़िताओं की कमजोरी का फायदा उठाकर न्याय का सौदा करने पर उतारू हो गए हैं। गिरोह के छह आरोपितों में से अली खान नामक आरोपित के स्वजनों ने पीड़ित छात्राओं को 20,000 रुपये प्रति माह या एक बार में दो लाख रुपये का लालच दिया है ताकि वे अली का नाम केस से वापस ले लें। दूसरी ओर पीड़ित छात्राएं टूटे मन और डर के साए में जी रही हैं, दूसरी ओर आरोपित पक्ष बेखौफ होकर खुलेआम पीड़ितों पर केस में नाम वापस लेने का दबाव बना रहा है। सबसे हैरानी की बात यह है कि इन घिनौनी हरकतों के बावजूद पुलिस ने अभी तक दबाव डालने वाले किसी भी आरोपियों पर कार्रवाई नहीं की है।

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अली के स्वजनों ने जिन पीड़िताओं से संपर्क कर उसका नाम वापस लेने के बदले रूपयों की पेशकश की है, उनका केस अशोका गार्डन थाने में दर्ज है। पीड़िताओं ने बताया कि इस प्रकरण के बाद सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए व आरोपितों के परिवार के संपर्क से दूर रहने के लिए उन्होंने अपना किराये का कमरा खाली कर दूसरी जगह कमरा लेकर रहना शुरू कर दिया था। लेकिन अली के स्वजन उसके ऑफिस तक जा पहुंचे और केस में नाम वापस लेने का दबाव बनाया। पीड़ित छात्राओं ने पुलिस को बताया कि अली का भाई फराज, उसकी मां और यूके में रहने वालीं मामी पीड़िताओं से मिली थीं। उन्होंने सैटलमेंट करने 20 हजार रुपये प्रतिमाह का खर्च देने या एक बार में दो लाख रुपये लेकर सैटलमेंट करने का आफर दिया था।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग सदस्य प्रियंक कानूनगो ने कहा कि हमारी टीम ने भोपाल में तीन दिन जांच की है। पीड़ित छात्राओं के भी विस्तार से बयान दर्ज किए गए हैं। जांच करने वाली टीम रिपोर्ट तैयार कर रही है, यदि उसमें नाम वापस लेने के लिए दबाव डालने की बात सामने आती है तो पुलिस से उचित कार्रवाई की मांग की जाएगी

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