छिंदवाड़ा : कवन सो काज कठिन जग माही । जो नहीं होय तात तुम पाहिं…।।’हनुमान चालीसा की इस चौपाई का अर्थ है- ‘जगत में कौन सा ऐसा कठिन काम है, जो तुमसे न हो सके.’ यही वजह है कि छिंदवाड़ा जिले के केसरी नंदन हनुमान मंदिर में बड़ी संख्या में याचक पहुंचते हैं.
खास इसलिए है कि यहां हनुमानजी की कोर्ट लगती है. भक्त अपनी मनोकामना आवेदन लिखकर बाल हनुमान को सौंप देते हैं.इसके बाद उस पर हनुमान जी अपने दरबार में सुनवाई करते हैं. मनोरथ पूर्ण होने पर भक्त यहां नारियल चढ़ाने आते हैं.मंदिर के चारों ओर नारियल बंधे हैं.
यहां भक्त कई तरह की समस्याएं लेकर पहुंचते हैं कहा जाता है जिन लोगों का ट्रांसफर नहीं हो रहा, किसी से ज़मीनी विवाद है,या फिर शादी विवाह में अड़चन आ रही है तो अपनी समस्या का समाधान करने के लिए छिंदवाड़ा के केसरी नंदन हनुमान जी का दरबार आपके लिए खुला है.जी हां हर मंगल और शानिवार को पूर्व मुखी मंदिर में विराजे पवन पुत्र जनसुनवाई करते हैं.
इसके लिए पीड़ितों से बकायदा मंदिर द्वार पर एक हाज़िरी रजिस्टर होती है जिसमें आपको शुरू में जय श्री राम लिखना होता है उसके बाद आपके आने का समय, आपका नाम पता और जाने का समय बकायदा रजिस्टर में लिखना होता है. उसके तत्पश्चात मंदिर समिति द्वारा एक आवेदन मिलता है जिसमें पीड़ित अपनी लिखित शिकायत लिखकर उसे बकायदा फोल्ड कर सिन्दूर से जय श्री राम लिखकर भगवान के सामने रखते हुए आवेदन करते हैं.
बताया जाता है कि इन पर जो भी समस्याएं लिखी होती हैं, वो बिल्कुल गुप्त होती हैं जिसे कोई देख नहीं सकता.
इस मंदिर के मुख्य पुजारी अनिल मालवी बताते हैं कि यहां सदियों से हनुमान लिखित आवेदन लेकर भक्तों के दुख दूर करते हैं और अपनी इच्छा से लोग यहां आते है.इस मंदिर की खासियत इसमें दिवारे नही हैं बल्कि यह मंदिर नारियलों से बना हुआ है.
कहा जाता है लोग शासन प्रसाशन से ज्यादा अपनी समस्या को लेकर भगवान के भरोसे से होते हैं.यह भक्तों की भावना आस्था है, कि वे भगवान को लिखित शिकायत दर्ज कराते हैं,उनकी इस दरबार में सुनवाई होती है.इस बात की उदाहरण है नियमित रूप में आने वाले हज़ार आवेदन पत्र। ईश्वर पर आस्था और विश्वास का प्रतीक है, यह पूर्व मुखी हनुमान मंदिर जहां हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है,जब भक्त की मनोकामना पूरी होती है.
तब वो यहां आकर हनुमान को नारियल भेंट करता है.इस मंदिर में न जाने कितने भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो चुकी है,उसका प्रतीक है यह नारियल जो मंदिर के चारों ओर उस भाक्ति का बखान करते हैं.इस मंदिर में कहीं भी सीमेंट से बना फर्श या टाइल्स नज़र नही आती क्योंकि मंदिर का परिसर मिट्टी का है इसे रोज़ाना गाय के गोबर से लीपा जाता है वही मंदिर के हर कोने में आपको नारियल ही नारियल नज़र आएंगे, जिसकी संख्या लाखों में है.
भक्तों द्वारा मनोकामना पूरी होने पर जितने भी नारियल होते हैं उतने नारियल को रस्सी से बांध दिया जाता है यही कारण है इस मंदिर की दीवारें नारियल की बनी हुई है.कहा जाता है मंदिर हज़ारों साल पुराना है.यहां पवन पुत्र एक नीम के पेड़ के नीचे बैठे हैं। जो हनुमान मूर्ति यहां मौजूद हैं वो बाल रूप में है.इस मूर्ति की एक ओर खासियत ये है कि यह अग्नि कुंड मे स्थापित हैं.
खंभे और दीवार भी नारियल की
मंदिर की बाहरी और अंदरूनी दीवारों और खंबो में नारियल ही बधें हुए है.ऐसा लगता है जैसे ये दीवारे और खंबे नारियल के ही बने हैं.मंदिर में ऐसी कोई जगह नहीं जहां नारियल न बंधे हो। सूखे और काले पड़ चुके नारियलों को देखकर ही समझा जा सकता है ये सालों पहले यहां लगे होंगे.मंदिर के मुख्य पुजारी अनिल मालवी कहते हैं कि मंदिर के अंदर अब जगह नहीं बची इसलिए बाहर परिसर में नारियलों को बांध दिया जाता है.