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शिक्षा का मंदिर या तुगलकी फरमान का अड्डा? प्राचार्य पर गंभीर आरोप!

खैरागढ़ :  शिक्षकों को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है और उन्हें देश के भविष्य माने जाने वाले बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की जिम्मेदारी होती है परंतु जब शिक्षक ही अपने तुगलकी फरमान को लेकर विवादों में घिर जाए तो बच्चों के भविष्य का क्या होगा.

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पूरा मामला खैरागढ़ जिले के छुईखदान ब्लॉक के शासकीय बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का है यहां की प्राचार्य पर बच्चों ने धार्मिक रूप से प्रताड़ित करने एवं तुगलकी फरमान जारी करने संबंधी कई गंभीर आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे क्लास से बाहर निकाल कर सड़क पर उतर गए और प्राचार्य के विरोध में नारे लगाए.

बच्चों की माने ने तो प्राचार्य ने स्कूल के टाई बेल्ट एवं बैच से जबरन संस्कृत के स्लोगन को बदलकर किसी लड़की के चित्र को लगा दिया है और बच्चों से 100 रुपए शुल्क वसूला जा रहा है. वहीं पूरे मामले में छात्र संघ भी अब मैदान में उतर चुका है और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जिला कलेक्टर और शिक्षा विभाग से पूरे मामले में जांच कर कार्यवाही करने की मांग की है.

एबीवीपी के गुलशन भगत ने बताया कि प्राचार्य नवरात्र में माता को लेकर और हिन्दू धर्म को लेकर अनर्गल बयान दिया है साथ ही बैच से संस्कृत के स्लोगन को हटा दिया गया है जिसका अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने विरोध दर्ज कराया है और जिला प्रशासन शिक्षा विभाग के द्वारा जल्द ही पूरे मामले में कार्यवाही नहीं की जाती है तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.

मामले में धार्मिक संगठन बजरंग दल भी अब आक्रामक होता दिखाई दे रहा है और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पूरे मामले में कार्यवाही नहीं किए जाने पर आंदोलन की चेतावनी दे रहा है.

प्रेम कुमार पटेल, एडीएम खैरागढ़

शिक्षा का मंदिर और उस मंदिर में भगवान स्वरूप माने जाने वाले प्राचार्य ही अपने फरमान को लेकर जांच के दायरे में आ गए हैं जिन्हें बच्चों के भविष्य को संवारने की जिम्मेदारी मिली हुई है , ऐसे में यह समय ही बताया कि जिला प्रशासन द्वारा पूरे मामले की जांच के बाद संबंधित प्राचार्य पर क्या कार्यवाही होती है या फिर जांच के नाम पर महज खानापूर्ति होती है ?

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