कैश एट होम केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के महाभियोग प्रस्ताव पर कार्रवाई तेज हो गई है. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने संसद में मंगलवार को तीन सदस्यीय कमेटी के गठन का ऐलान किया, जो इस मामले की जांच करेगी. इस कमेटी में एक सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज और एक वरिष्ठ वकील शामिल किए गए हैं.
लोकसभा स्पीकर द्वारा बनाई गई कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मनिंदर मोहन और वरिष्ठ वकील बीवी आचार्य को शामिल किया गया है. कमेटी जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच करेगी और एक रिपोर्ट तैयार कर लोकसभा स्पीकर को सौंपेगी. फिर उस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
स्पीकर ने बताया कि उन्हें बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद और विपक्ष के नेता समेत कुल 146 सदस्यों के हस्ताक्षर के साथ प्रस्ताव सौंपा गया था. इस प्रस्ताव में जस्टिस वर्मा को पद से हटाने की सिफारिश की गई है. ओम बिरला ने सदन में जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों का भी जिक्र किया और कहा कि जांच कमेटी को जल्द काम शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने भेजा था प्रस्ताव
जस्टिस वर्मा को भ्रष्टाचार के आरोपों में पद से हटाने का प्रस्ताव तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजा था. जुलाई में लोकसभा में उन्हें पद से हटाने के लिए महाभियोग के प्रस्ताव पर चर्चा हुई.
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने इन-हाउस जांच रिपोर्ट को चुनौती दी थी. इस रिपोर्ट में उनके पद से हटाने की सिफारिश की गई थी. मामला उस समय सुर्खियों में आया था जब इस साल की शुरुआत में जस्टिस वर्मा के आवास से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की गई थी. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा कि इन-हाउस कमेटी का गठन और जांच प्रक्रिया में कोई गैरकानूनी पहलू नहीं पाया गया. कोर्ट ने साफ किया कि कमेटी की कार्यवाही संविधान के दायरे में रही है