मतदान करना नागरिक की जिम्मेदारी है. इसी पर देश का भविष्य निर्भर करता है. हमने कई उदाहरण देखे हैं. शादी हो या परीक्षाएं, वोटिंग को लेकर जागरूक नागरिक हर हालत में मतदान करने पहुंचते हैं. बिहार के दरभंगा से कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां एक बुजुर्ग महिला जो कैंसर की लास्ट स्टेज पर लड़ाई लड़ रहीं हैं. अपने जीवन की अंतिम सांसे गिन रही हैं, फिर भी वो वोट देने के लिए पहुंचीं. उन्हें स्ट्रेचर पर लिटाकर वोटिंग बूथ तक लाया गया. यहां उन्होंने मतदान कर अपनी जिम्मेदारी निभाई.
इस महिला का नाम शुभद्रा देवी है. ये दरभंगा जिले विशनपुर थाना क्षेत्र के चौगमा गांव की रहने वाली हैं. कैंसर से जूझ रहीं शुभद्रा देवी को जब पता चला कि उनके यहां मतदान है. तो उन्होंने अपने बेटे विजय कुमार मिश्रा से कहा कि मुझे भी वोट डालना है. बेटे ने मां से कहा कि आप तो बीमार हैं. ऐसे में आप कैसे जाएंगी चुनाव बूथ तक? तो शुभद्रा देवी ने कहा कि मैं अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहती हूं. मैं वोट जरूर दूंगी. मुझे बस वहां तक ले चलो.
बेटे ने मां की बात मान ली. विजय कुमार ने मां के लिए स्ट्रेचर मंगवाया. उन्हें फिर गाड़ी से विष्णुयर चौगमा मध्य विद्यालय के बूथ संख्या-116 पर पहुंचाया. यहां महिला ने पूरे उत्साह के साथ वोट डाला. फिर उन्हें वापस घर लाया गया. इस दौरान बूथ के पास खड़े सभी लोग भी हैरान रह गए.
बुजुर्ग महिला के बेटे विजय कुमार मिश्रा ने कहा, ‘मां ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में नागरिक दायित्व को पूरा करते हुए मतदान किया. मां लंबे समय से अत्यधिक बीमार है. पिछले चार दिनों से केवल कुछ बूंद जल के सहारे जिंदा हैं. उन्होंने खुद वोट डालने की इच्छा जताई. ऐसे में हम मना नहीं कर पाए. अगर मां बीमार होकर भी देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहती हैं तो हमें उनका साथ जरूर देना चाहिए. बस यही सोचकर हम मां को स्ट्रेचर में लिटाकर पोलिंग बूथ तक ले गए.’