छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी के प्रदेश महासचिव जसबीर सिंह चावला ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रीय संगठन महामंत्री और छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी संदीप पाठक को पत्र लिखकर जसबीर ने पार्टी में व्याप्त अव्यवस्था, जवाबदेही की कमी और छत्तीसगढ़ में दिशा-हीनता पर सवाल उठाए।
इस्तीफे के पत्र में जसबीर ने कहा अमेरिका से 12 मई 2025 को 5.12 लाख रुपए का डोनेशन खासतौर पर छत्तीसगढ़ संगठन के लिए आया था। लेकिन आज तक प्रदेश का बैंक अकाउंट नहीं खोला गया। नतीजा यह हुआ कि प्रदेश कार्यालय का 3 महीने से किराया बकाया रहा और आखिरकार मकान मालिक ने ताला जड़ दिया।
‘छत्तीसगढ़ में अब कोई गतिविधि नहीं’
चावला ने कहा कि 16 अगस्त 2011 से 14 वर्ष पार्टी को दिए। शिक्षा और रोजगार स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर पार्टी के शुरुआती काम से सहमत था, लेकिन छत्तीसगढ़ में जमीनी स्तर पर अब कोई गतिविधि नहीं दिख रही। इसलिए पार्टी से अलग हो रहा हूं। इस्तीफे में उन्होंने 10 बड़े कारण भी गिनाए।
जसबीर सिंह चावला ने इस्तीफे में गिनाए गए 10 बड़े कारण
1. कार्यकर्ताओं का सम्मान खत्म
पार्टी में अब कार्यकर्ता और पदाधिकारियों का सम्मान नहीं होता। चाटुकारिता हावी हो गई है। समय पर कार्रवाई न करने से प्रदेश अध्यक्ष हुक्म रानी करने लगे हैं।
2. संवादहीनता की स्थिति
अरविंद केजरीवाल अब न तो कार्यकर्ताओं से मिलते हैं और न ही पदाधिकारियों से संवाद करते हैं। यहां तक कि प्रदेश अध्यक्ष से भी मुलाकात नहीं होती, तो आम कार्यकर्ता और बाकी पदाधिकारियों की तो बात ही छोड़ दीजिए।
3. दिल्ली पर अत्यधिक निर्भरता
प्रदेश के पदाधिकारियों को हर बात के लिए दिल्ली से पूछो कहा जाता है, यह कहां तक सही है। जब दिल्ली से कोई फंड में सहयोग नहीं करता और मार्गदर्शन और पार्टी के किसी भी प्रदेश के लिए विजन के सवाल का जवाब दिल्ली के पास नहीं है।
4. छत्तीसगढ़ के लिए विजन का अभाव
पार्टी का छत्तीसगढ के लिए कोई ठोस विजन नहीं है। आज 2023 विधान सभा चुनाव के करीब 24 महीने बाद भी प्रदेश के लिए कोई प्लान नहीं है। प्रदेश के पदाधिकारियों को आप चर्चा के लायक ही नहीं समझते।
5. जवाबदेही और फंड रेसिंग का संकट
जवाबदेही की कमी और पार्टी को चलाने के लिए फंड रेसिंग के लिए कोई प्लान नहीं होना भी एक बहुत बड़ी चुनौती है। इसलिए छत्तीसगढ़ प्रदेश में पार्टी की प्रगति में यह एक बड़ी रुकावट है।
6. प्रभारी-सह प्रभारी पर निर्भरता
दिल्ली से जिस भी प्रभारी की नियुक्ति होती है, उन्हें अपने किसी सहयोगी की मदद लेनी पड़ती है। जिससे कि रोजमर्रा के कार्य और फॉलो अप के कार्य सहयोगी करें। लेकिन अक्सर आप के यह सहयोगी ही प्रदेश के पदाधिकारियों के बॉस बन जाते हैं।
जसबीर ने कहा कि ऐसा LPOC, ZPOC आदि ने गुजरात और छत्तीसगढ में किया है और मैं दोनों प्रदेशों में इनके इस रवैये से रूबरू हुआ हूं। पार्टी के दिल्ली से चुने गए प्रभारी। सह प्रभारी की भी जवाबदेही तय होनी चाहिए, पूरा प्रदेश उनके रहम पर नहीं होना चाहिए।
7.डोनेशन का दुरुपयोग और दफ्तर बंद
जसबीर ने अपने पत्र में कहा कि 12 मई 2025 को USA से 5.12 लाख रुपए का डोनेशन मिला, लेकिन प्रदेश का बैंक अकाउंट अब तक चालू नहीं किया गया। तीन महीने से दफ्तर का किराया नहीं चुकाने पर मकान मालिक ने दफ्तर पर ताला जड़ दिया। इससे संगठन की जवाबदेही की कमी उजागर होती है।
8. विचारधारा का अभाव
छत्तीसगढ़ के प्रमुख पदाधिकारी कांग्रेस को विपक्ष में मजबूत होने की बात को सिरे से खारिज कर देते हैं। रही बात प्रभारी और सह प्रभारी दोनों को फीड करी गयी है, किन्तु प्रदेश के सभी ज्वलंत मुद्दों पर सिर्फ कांग्रेस ही मुखर है और आम आदमी पार्टी कहीं भी नहीं दिखती।
9. विपक्ष की भूमिका से दूरी
2023 में गलत कैंडिडेट को टिकट देना और सभी 90 सीट पर चुनाव नहीं लड़ना भी पार्टी की साख पर चोट किया है। आज भी जमीनी कार्यकर्ता का मनोबल टूटा हुआ है।
10. गलत टिकट वितरण और संविधान की अनदेखी
अब पार्टी अपने संविधान अनुसार कार्य नहीं कर रही। छत्तीसगढ के कार्यकर्ता साथियों को अंधेरे में रखा जा रहा है। नियुक्ति की जगह घोषणा करके पदों को रेवड़ी की तरह बांटा जा रहा है।
कौन है जसबीर सिंह चावला
सरदार जसबीर सिंह बिलासपुर करोबारी है। 2011 में अन्ना आंदोलन से सक्रिय रहे। नर्मदा नगर विकास समिति अध्यक्ष रहते हुए सामाजिक कार्य में सक्रिय रहे। 2012 में आम आदमी पार्टी से जुड़े।
2016 में बिल्हा विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त 2017 में बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र का जिम्मा मिला। 2023 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बिल्हा से प्रत्याशी बनाया। इससे पहले वे आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ के कोषाध्याक्ष रह चुके है।