नेपाल में शुक्रवार को राजशाही के समर्थन में हुई हिंसा के बाद सरकार का एक्शन जारी है. ओली सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए राजा ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा को पूरी तरीके से बदल दिया है. जितने भी सुरक्षाकर्मी उनकी ड्यूटी पर लगे हुए थे उन सबको बदल दिया गया है और साथ ही साथ उनकी सुरक्षा को घटा भी दिया गया है. पहले जहां ज्ञानेंद्र शाह को 25 सुरक्षा कर्मियों द्वारा सुरक्षा दी जाती थी उसे घटाकर अब 16 कर दिया गया है. वहीं, हिंसा में हुए नुकसान की भरपाई भी उन्हीं से की जाएगी.
वहीं, हिंसा के बाद के हालातों का जायजा लेने के लिए जब हम ग्राउंड पर पहुंचे तो हमें कई नजारे देखने को मिले. पहले हम उस बिल्डिंग के सामने पहुंचे जो सबसे पहले प्रदर्शनकारियों के निशाने पर आई. क्योंकि इसी बिल्डिंग के सामने तीनकुने मैदान में राजशाही को लेकर जनसभा चल रही . जैसे ही यह सभा उग्र हुई सबसे पहले इस बिल्डिंग को निशाना बनाया गया और इसी बिल्डिंग के ऊपर पत्रकार टीवी कैमरामैन की जलकर मौत हो गई थी.
इसके बाद हम एकीकृत समाजवादी पार्टी दफ्तर के बाहर पहुंचे, जो पूरी तरीके से जलकर खाक हो गया है और यह राजनीतिक दल नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल की पार्टी का है जिससे प्रदर्शनकारियों ने निशाना बनाया था.
वहीं, शुक्रवार को काठमांडू के सड़कों पर जो हिंसक झड़प हुई थी और जिसमें कई मकान, बिल्डिंग, सरकारी दफ्तर और सरकारी गाड़ियों को क्षतिग्रस्त और आग के हवाले कर दिया गया था उसको लेकर अब काठमांडू नगर निगम ने राजा ज्ञानेंद्र शाह पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें इस नुकसान की भरपाई करने का नोटिस थमा दिया है.
काठमांडू नगर निगम में राजा ज्ञानेंद्र शाह पर 7.93 लाख नेपाली रुपए का जुर्माना ठोका है और जो भी नुकसान हुआ था उसकी भरपाई करने का आदेश दिया है.
बता दें कि नेपाल ने 2008 में संसद द्वारा राजशाही को समाप्त कर दिया था, जिससे यह एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया. हालांकि, हाल ही में राजशाही की बहाली की मांग तेज हो गई है, खासकर जब पूर्व राजा ग्यानेंद्र ने 19 फरवरी को लोकतंत्र दिवस के अवसर पर जनता से समर्थन की अपील की थी. काठमांडू में शुक्रवार को नेपाल की राजशाही की बहाली और हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे समर्थकों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पें हुईं.