हजारीबागः जिला के लोसिंघना थाना क्षेत्र के लोसिंघना चौक से एक संदिग्ध आतंकी गिरफ्तार किया गया है. झारखंड एटीएस की टीम संदिग्ध को लेकर कोर्ट में पेशी हुई. हजारीबाग एसीजेम कोर्ट में पेश किया गया. इसके बाद एटीएस की टीम उसे अपने साथ रांची ले गई है. जहां से उसे दिल्ली ले जाया जाएगा.
गिरफ्तार संदिग्ध आतंकी अलकायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंट का सक्रिय सदस्य बताया जा रहा है. गिरफ्तार संदिग्ध का नाम फैजान अहमद है. जिसके पिता का नाम अब्दुल रशीद है. 45 वर्षीय संदिग्ध मोहम्मद फैजान अहमद होलसेल का व्यापार हजारीबाग में करता है. अपना पहचान छुपा कर आतंकी संगठन के लिए काम कर रहा था. इसके माता-पिता मंडई में रहते हैं. और यह खुद लोहसिंघना में रहता था. ये एक रांची के डॉक्टर इस्तियाक अहमद से यह संपर्क में थे. डॉक्टर इश्तियाक हजारीबाग आए थे और इनसे मुलाकात की थी. दोनों ने हजारीबाग के एक होटल में भोजन भी किया था. डॉक्टर इश्तियाक की गिरफ्तार पहले ही हो चुकी है. एटीएस की टीम ने दो लैपटॉप, एक किताब, मोबाइल फोन और कुछ इलेक्ट्रॉनिक गैजट्स भी जब्त किए गये हैं.
एटीएस बड़ी कार्रवाई पिछले दो दिनों से झारखंड में कर रही है. जिसमें प्राप्त जानकारी के अनुसार सात संदिग्ध आतंकी एटीएस के हत्थे चढ़े हैं. ऐसा माना जाए तो यह झारखंड में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है. एटीएस की टीम ने 14 जगहों पर छापेमारी कर अलकायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंट (एक्यूआईएस) आतंकी संगठन के सात आतंकियों को पकड़ा है. एटीएस की टीम ने लोहरदगा के कैरो, हजारीबाग के लोहसिंघना समेत अन्य कई जिलों में पर छापेमारी कर सभी आतंकियों को गिरफ्तार किया है. लोहरदगा से गिरफ्तार हुए आतंकी के पास से हथियार भी बरामद होने की सूचना है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अलकायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंट इस्लामिक राज्य स्थापित करने के लिए जिहाद छेड़ना चाहता है. इस आतंकी संगठन से जुड़े लोगों का उद्देश्य झारखंड में आतंक का प्रचार करना, समान विचारधारा वाले युवाओं को कट्टरपंथी बनाना और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए भर्ती करना है.
आतंकियों का स्लीपर सेल रहा है हजारीबाग
हजारीबाग आतंकियों का स्लीपर सेल बनता जा रहा है. इसकी जड़ें आईएसआई मॉड्यूल गहराती जा रही है. हजारीबाग का नाम आतंकियों के साथ 2002 में पहली बार आया था. हजारीबाग देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी एनआईए के नजर में हमेशा रही है. अब तक की जांच और कार्रवाई में पिछले दो दशक में यह बातें सामने आई हैं कि हजारीबाग के पेलावल में आतंकियों का पनागाह बनता जा रहा है. जहां स्लीपर सेल डेवलप हो चुका है. इस बात की पुष्टि हाल के दिनों में आतंकवादियों के गिरफ्तारी से भी हो रही है.
हजारीबाग के पेलावल थाना अंतर्गत पगमिल का रहने वाला शाहनवाज आलम एटीएस की टीम ने गिरफ्तार किया था. जो एनआईए की मोस्ट वांटेड लिस्ट में था. शाहनवाज आलम ने एनआईटी नागपुर से 2016 में बीटेक (माइनिंग) की पढ़ाई की और दिल्ली में अबुल फजल एनक्लेव में रहा था. लॉकडाउन में हजारीबाग आया फिर यहां 2020 में हथियार के साथ गिरफ्तार हुआ था. वह आईडी एक्सपर्ट के रूप में भी जाना जाता था. एनआईए ने उस पर 3 लाख का इनाम रखा था.
एनआईए की टीम ने हजारीबाग कटकमसांडी निवासी पेलावल थाना क्षेत्र के मोहम्मद नसीम उर्फ मोहम्मद मोहसिन पिता मोहम्मद जालिम को भी गिरफ्तार किया था. वह एक सामान्य परिवार से है. 10 वर्ष पूर्व पेलावल में मोहम्मद नसीम के परिवार वालों ने घर बनाया था. वह तीन भाई और एक बहन है. घर में सबसे बड़ा मोहम्मद नसीम है नसीम की भी उच्च शिक्षा बेंगलुरू में इंजीनियरिंग की हुई है. शहनवाज की भी पढ़ाई इंजीनियरिंग की हुई है, अंदेशा जताया जा रहा है कि लॉकडाउन के दौरान हीं नसीम भी शहनवाज के करीब आया होगा और यह स्लीपर सेल के रुप में काम कर रहा था.
हजारीबाग के कटकमसांडी थाना क्षेत्र के महतो टोला निवासी मोहम्मद नसीम को भी एटीएस की टीम ने गिरफ्तार किया था. बताया जाता है कि यह एक बड़ा मॉड्यूल तैयार कर रहा था. जिसमें लगभग 30 से अधिक युवक शामिल होने की भी बात कही जा रही थी. मुख्य रूप से सांप्रदायिक दंगा, पत्थर बाजी और स्थिति को कैसे असामान्य किया जाए इसे लेकर यह मॉड्यूल तैयार किया था. जो फिलिस्तीन जाने की फिराक में था. इसका पासपोर्ट भी तैयार हो चुका था. जानकारी के अनुसार यह बेंगलुरु में काम करता था.
2012 में पेलावल के हीं कश्मीर हाउस से 29 फरवरी को लश्कर के आतंकी तौफिक को गिरफ्तार किया गया था. एनआइए ने उसके निशानदेही पर दिल्ली साथी एहतेशाम को गिरफ्तार किया था. जांच में ये यह भी बातें सामने आयी थी कि तौफिक ने इंटर की पढ़ाई मांडू कॉलेज से की थी. वह जब गिरफ्तार हुआ तो वह अपने आप को बचाने और छिपाने के लिए संत कोलंबा कॉलेज में पार्ट वन की पढ़ाई कर रहा था.
केस नंबर 1ः- जनवरी 2002 में हजारीबाग सुर्खियों में आया था, जब कोलकाता के अमेरिकन सेंटर पर आतंकी हमला हुआ. आतंकवादियों ने जांच एजेंसियों से बचने के लिए हजारीबाग के कचहरी के समीप एक होटल में शरण ली थी. इसका खुलासा जांच में एनआइए ने किया था. 28 जनवरी 2002 को दो आतंकी सदर थाना क्षेत्र के खिरगांव मुहल्ले में मारे गए थे. इनमें इदरीश नाम का आतंकी घटनास्थल पर ही मारा गया था. वहीं, सलीम अस्पताल में बयान देने के बाद मर गया था. सलीम ने बताया था कि दोनों पाकिस्तान के हैं. लश्कर-ए-तोएबा के आतंकी हैं. उसने स्वीकारा था कि कोलकाता में 22 जनवरी 2002 को अमेरिकन सूचना केंद्र पर हमला करने में उसका हाथ था. 6 दिन बाद 28 जनवरी को हजारीबाग में वह मर गया.
केस नंबर 2ः- 29 फरवरी 2012 को हजारीबाग स्थित पगमिल मोहल्ले के कश्मीर हाउस से लश्कर के आतंकी तौफिक को गिरफ्तार किया गया था. उसकी निशानदेही पर दिल्ली में इसके एक साथी एहतेशाम को गिरफ्तार किया गया था. तौफिक ने इंटर की पढ़ाई मांडू कॉलेज से की थी. वह संत कोलंबा कॉलेज में पार्ट वन की पढ़ाई कर रहा था.
केस नंबर 3ः- रोहिग्यां मामले में गिरफ्तार अल कायदा से जुड़े संदिग्ध आतंकी समीउल रहमान उर्फ हमदान उर्फ शुमोन हक उर्फ राजू भाई ने गिरफ्तारी के बाद खुद स्वीकार किया कि वह पहचान छिपाकर हजारीबाग के एक होटल में कुछ दिनों तक ठहरा था. दिल्ली में हमदान को गिरफ्तार करने के बाद एनआइए टीम जांच के सिलसिले में उसे लेकर रांची आयी थी. यहीं उसने माना कि हजारीबाग के एक होटल को भी उसने अपना ठिकाना बनाया था. होटल में ठहरने के लिए हमदान ने किशनगंज से जारी पहचान पत्र का इस्तेमाल किया था.
केस नंबर 4ः- 2022 में पटना में पकड़ा गया एक जमादार हजारीबाग में पोस्टेड था. इस दौरान उसकी गतिविधि भी संदिग्ध थी और वह आतंकी जाल फैला रखा था. जिसने केंद्र पटना को बनाया था.
केस नंबर 5ः- हजारीबाग के शाहनवाज को दिल्ली में पकड़े जाने के बाद आतंकियों से जुड़े तार का बड़ा खुलासा होने की संभावना प्रबल हो गई है. जिसकी गिरफ्तारी की पुष्टि 2 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस ने किया है.