सहारा समूह की ज्यादातर संपत्तियों को अडानी समूह खरीदने के लिए तैयार है. दो कानूनी सूत्रों के अनुसार, नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सहारा समूह ने सुप्रीम कोर्ट में 6 सितंबर 2025 को एक टर्म सीट पेश की है, जिसके मुताबिक, अडानी ग्रुप एंबी वैली, मुंबई के सहारा स्टार होटल और सहारा की देश भर की कई संपत्तियों को खरीदने वाला है. इस डील को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी का इंतजार है.
सूत्रों ने कहा कि लेन-देन की संवेदनशीलता को देखते हुए फाइनेंशियल डिटेल गोपनीय रखे गए हैं, जो सिर्फ एक सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किए जाएंगे. वहीं इंडिया टुडे द्वारा दस्तावेजों की जांच में पता चला है कि अडानी ग्रुप को तय अमाउंट सेबी-सहारा रिफंड अकाउंट या कोर्ट द्वारा निर्देशित किसी खाते में डिपॉजिट करना होगा.
कोर्ट में पेश दस्तावेज के मुताबिक, अडानी प्रॉपर्टीज को टुकड़ों के बजाय एकमुश्त, सिंगल ब्लॉक डील में 88 से ज्यादा प्रॉपर्टीज ट्रांसफर की जाएंगी, जिनमें एंबी वैली टाउनशिप और सहारा स्टार होटल प्रमुख हैं.
कोर्ट की निगरानी में एकमुश्त बिक्री सालों से रुके हुए इस मामले को सेटल कर सकती है और SEBI-Sahara रिफंड अकाउंट के माध्यम से वैध दावेदारों को रिफंड में तेजी ला सकती है. इससे ये भी होगा कि टुकड़ों में प्रॉपर्टी के बजाय किसी एक खरीदार के पास ट्रांसफर हो जाएगा. अगर ये मंजूरी मिल जाती है तो यह आदेश कोर्ट की निगरानी में जटिल परिसंपत्तियों की बिक्री के लिए एक आदर्श बन सकता है. यह मामला 14 अक्टूबर को अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आएगा और न्यायालय के निर्देशानुसार, आय को सेबी-सहारा रिफंड खाते में ट्रांसफर किया जा सकता है.
सहारा की कौन-कौन सी प्रॉपर्टी बिक रही है?
इस डील में महाराष्ट्र में 8810 एकड़ में फैली एंबी वैली सिटी शामिल है. इसके अलावा, मुंबई हवाई अड्डे के पास स्थित सहारा स्टार होटल और महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल, झारखंड, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड में अलग-अलग प्रॉपर्टीज हैं. इस समय कोर्ट द्वारा नियुक्त कोई रिसीवर नहीं है. सहारा इंडिया कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SICCL) ने सहारा की संस्थाओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दाखिल किया था. सहारा का मैनेजमेंट बिक्री के लिए बातचीत कर रहा है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर एक आवेदन के अनुसार, सहारा ग्रुप ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत ‘पूर्ण न्याय’ सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट की शक्तियों का उपयोग करते हुए कोर्ट से व्यापक सुरक्षा की मांग की है.
सहारा ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह अधिग्रहीत संपतियों को सभी रेगुलेटरी या आपराधिक इंक्वाइरी, जांच और एक्शन से छूट देने का आदेश जारी करे. सहारा ने यह भी मांग की है कि प्रॉपर्टीज से संबंधित सभी दावे या देनदारियां सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को ही भेजी जाएं और किसी अन्य कोर्ट, न्यायाधिकरण या सरकारी निकाय को इन संपित्तयों की बिक्री पर विचार करने या उसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार न हो. इसने विभिन्न प्राधिकारियों द्वारा संपत्तियों पर जारी सभी मौजूदा कुर्की आदेशों, प्रतिबंधों को तत्काल वापस लेने का अनुरोध किया है.
उच्च स्तरीय समिति गठन का प्रस्ताव
फंड के मैनेजमेंट के लिए सहारा ने सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति के गठन का प्रस्ताव रखा है, जो बिक्री के प्रॉसेस की निगरानी करेगी, आपत्तियों या प्रतिस्पर्धी प्रस्तावों का सेटमेंट करेगी और सहारा की बाकी देनदारियों की पहचान, निर्णय और निपटान करेगी.
रिपोर्ट के मुताबिक दस्तावेजों में कहा गया है कि बाजार की खराब स्थितियों, विश्वसनीय खरीदारों की कमी और कई चल रहे मुकदमों के कारण संपत्ति बेचने के पिछले प्रयास विफल रहे थे, जिससे खरीदारों का विश्वास खत्म हो गया. इसके अलावा, सहारा का कहना है कि सेबी कई बार प्रयास करने और सलाहकारों को नियुक्त करने के बावजूद, सहारा की किसी भी संपत्ति को बेचने या उसको लिक्विडेट करने में फेल रहा.
एक ही यूनिट को सभी प्रॉपर्टी बेचने का फैसला
सहारा ने कहा कि मामले को और जटिल बनाते हुए, कई जांच एजेंसियों ने सहारा और उसके अधिकारियों के खिलाफ स्वतंत्र जांच शुरू की, जिसका सीधा असर समूह की अपनी प्रॉपर्टी बेचने की क्षमता पर पड़ा. इन लगातार चुनौतियों को देखते हुए, मैनेजमेट इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि हर प्रॉपर्टी को अलग-अलग बेचने में सालों लगेंगे. इस स्थिति से निपटने और सबसे तेज समय-सीमा में अधिकतम वैल्यू सुनिश्चित करने के लिए, उन्होंने अपनी लगभग सभी बाकी प्रॉपर्टीज को एक ही ब्लॉक या लॉट में एक ही यूनिट (अडानी समूह) को बेचने का फैसला किया है. हालांकि इस मामले में अडानी ग्रुप ने कोई जवाब नहीं दिया है.
क्या है सहारा का पूरा मामला
सहारा का लंबे समय से चल रहा विवाद इस बात पर फोकस है कि उसने लाखों छोटे निवेशकों से धन जुटाया और उन पैसों को अभी तक रिफंड नहीं किया गया है. 2012 में, भारत के पूंजी बाजार नियामक सेबी ने फैसला सुनाया कि सहारा की दो कंपनियों ने बिना उचित अप्रूवल के वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर बेचे थे और ब्याज समेत रिफंड का आदेश दिया था, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट गया और कोर्ट ने भी उस आदेश को बरकरार रखा.
इसके बाद संस्थापक सुब्रत रॉय को 2014 में अनुपालन न करने के कारण जेल में डाल दिया गया, लेकिन बाद में संपत्ति की बिक्री और पुर्नभुगतान में देरी के कारण उन्हें पैरोल पर रिहा कर दिया गया. साथ ही अदालती और एजेंसी की कार्रवाइयों के तहत सहारा की कई संपत्तियां जब्त की गईं और दावेदारों को पैसा लौटाने के लिए सेबी-सहारा रिफंड खाता बनाया गया. अभी भी सहारा समूह जांच के दायरे में है और मुकदमेबाजी समेत अन्य कार्रवाई सालों से चल रही हैं.
बता दें कि सहारा के पास कभी एक एयरलाइन, स्पोर्ट्स टीमें, लंदन और न्यूयॉर्क में होटल, वित्तीय, म्यूचुअल फंड और जीवन बीमा व्यवसाय, एंबी वैली टाउनशिप और लगभग 36,000 एकड़ का भूमि बैंक था. इनमें से ज्यादातर प्रॉपर्टीज जब्त या बेची जा चुकी हैं.