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ग्रीन एनर्जी को लेकर अदाणी ग्रुप का 100 अरब डॉलर का प्लान, गौतम अदाणी ने दी जानकारी

अदाणी ग्रुप ने एनर्जी ट्रांजिशन को लेकर अपना बड़ा प्लान सामने रखा है. ग्रुप का एनर्जी ट्रांजिशन प्रोजेक्ट्स और निर्माण क्षमता बढ़ाने में अगले एक दशक के दौरान 100 अरब डॉलर के निवेश की योजना है. इसके तहत ग्रुप ग्रीन एनर्जी के लिए जरूरी सभी अहम कंपोनेंट के निर्माण करने की क्षमता हासिल करेगा. ग्रुप चेयरमैन गौतम अदाणी ने बुधवार को इसकी जानकारी दी है. एनर्जी ट्रांजिशन का मतलब दुनिया भर की एनर्जी सप्लाई को पारंपरिक एनर्जी  सोर्स से ग्रीन एनर्जी और रीन्यूएबल एनर्जी में बदलना है. इसके लिए सरकारें और निजी क्षेत्र दोनों ही रीन्यूएबल एनर्जी क्षमता बढ़ाने पर फोकस कर रहे हैं. गौतम अदाणी ने अपनी योजना पर क्रिसिल के द्वारा आयोजित एक इवेंट में बात की.

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ग्रुप फिलहाल कई ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है इसमें सोलर पार्क और विंड एनर्जी फार्म को स्थापित करने के साथ ग्रीन हाइड्रोजन के लिए इलेक्ट्रोलाइजर का निर्माण, विंड पावर टरबाइन का निर्माण और सोलर पैनल के निर्माण के लिए जरूरी फैसिलिटी भी ग्रुप स्थापित कर रहा है. गौतम अदाणी ने कहा कि ग्रुप इन पर और निवेश करेगा. वहीं पूरी अर्थव्यवस्था को लेकर उम्मीदें सामने रखते हुए गौतम अदाणी ने कहा कि भारत जल्द ही हर 12 से 18 महीने में अपनी GDP में एक लाख करोड़ डॉलर जोड़ने लगेगा और इस रफ्तार से अर्थव्यवस्था 2050 तक 30 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगी.

वहीं गौतम अदाणी ने उम्मीद जताई कि देश का कुल मार्केट कैप साल 2050 तक बढ़कर 40 लाख करोड़ डॉलर हो सकता है. यानि अगले 26 साल में भारत के शेयर बाजार के मार्केट कैप में 35 लाख करोड़ डॉलर और जुड़ जाएंगे.फिलहाल भारत का शेयर बाजार का कुल बाजार मूल्य 5 लाख करोड़ डॉलर से कुछ ही ऊपर है. उन्होने कहा कि यह सच है कि हर देश के सामने अपनी चुनौतियां बनी हुई हैं लेकिन ये भी सच है कि भारत की वास्तविक ग्रोथ अभी आना बाकी है.

अदाणी ग्रुप का फिलहाल लक्ष्य है कि वो सबसे सस्ती ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करे जो कि कई और सेक्टर के लिए मददगार साबित होगी. गौतम अदाणी के मुताबिक इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए उन्होने पहले ही कच्छ में दुनिया का सबसे बड़ा सिगल साइट रीन्यूएबल पार्क स्थापित कर दिया है. ये साइट अकेले ही आने वाले समय में 30 गीगावॉट पावर का उत्पादन करेगी इससे ग्रुप की कुल बिजली उत्पादन क्षमता साल 2030 तक बढ़कर 50 गीगावॉट तक पहुंच जाएगी.

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