अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (APSEZ) ने 45,000 करोड़ रुपये के निवेश से मुंद्रा बंदरगाह की क्षमता को दोगुना से ज्यादा बढ़ाने के लिए पर्यावरणीय और तटीय रेग्युलेशन से संबंधित एक अहम मंजूरी हासिल कर ली है. मुंद्रा पहले से ही भारत में किसी भी बंदरगाह द्वारा अब तक के सबसे ज्यादा वैल्यूम को हैंडल किया है. अदाणी समूह आगामी और चल रही परियोजनाओं के लिए बड़े निवेश पर काम कर रहा है.
APSEZ का दावा है कि वित्त वर्ष 2025 में अकेले मुंद्रा पोर्ट 200 MMT कार्गो वॉल्यूम के आंकड़े को पार करने के लिए तैयार है. अदाणी के भारत के वॉल्यूम में अभी भी मुंद्रा पोर्ट का दबदबा है. इसने वित्त वर्ष 2024 के अंत में कार्गो वॉल्यूम में 44 फीसदी का योगदान दिया. ये पिछले वित्त वर्ष की तुलना में थोड़ा ही कम है.
APSEZ ने मुंद्रापोर्ट की क्षमता बढ़ाने की अनुमति के लिए पर्यावरण मंत्रालय की एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी (EAC) के समक्ष आवेदन किया था. इकोनॉमिक टाइम्स ने समिति की बैठक मिनट्स का हवाला देते हुए बताया, “EAC ने परियोजना के प्रस्तावक (APSEZ) द्वारा पेश दस्तावेजों की जांच करने और 15 मई 2024 को हुए विस्तृत विचार-विमर्श के बाद पर्यावरण और CRZ मंजूरी के लिए प्रस्ताव की सिफारिश की.” APSEZ ने इस बारे में ET के सवाल का अभी तक जवाब नहीं दिया है.
भारत में APSEZ की विस्तार योजनाओं में मुंद्रा पोर्ट्स की बड़ी भूमिका है. वित्त वर्ष 2024 में, APSEZ ने भारत के कुल कार्गो का लगभग 27 फीसदी और कंटेनर कार्गो का 44 फीसदी हिस्सा हैंडल किया था.
यहां वित्त वर्ष 2025 के लिए अदानी पोर्ट द्वारा जारी गाइडेंस प मुताबित इस अवधि में कंपनी का कार्गो वॉल्यूम 460-480 MMT, रेवेन्यू 29,000-31,000 करोड़ रुपए, EBIDTA 17000- 18000 करोड़ रुपए, नेट डेट टू EBITDA 2.2-2.5 गुना ओर कैपेक्स (विस्तार पर होने वाला खर्च) 10,500-11,500 करोड़ रुपए रह सकता है.