सागर : जिले में अवैध रूप से नरवाई जलाने की घटनाओं को लेकर प्रशासन ने सख़्त रुख़ अपनाया है. कलेक्टर श्री संदीप जी आर के स्पष्ट निर्देश हैं कि इस प्रकार की घटना पर त्वरित कार्रवाई की जाए. बता दें कि नरवाई जलाने की घटनाओं पर अब तक 27 एफआईआर दर्ज की जा चुकी है.
घटना पर किसानों के खिलाफ प्राथमिकता के आधार पर आपराधिक मामला दर्ज किया गया है. ये कार्रवाइयां कलेक्टर श्री संदीप जी आर के आदेशानुसार जिले में नरवाई जलाने पर लगाए गए प्रतिबंध के तहत की जा रही है.
कलेक्टर ने कहा है कि नरवाई जलाने पर जहां एक ओर पर्यावरण प्रदूषण होता है वहीं दूसरी ओर फॉरेस्ट फायर या अग्नि दुर्घटनाओं की संभावना भी कई गुना बढ़ जाती है. अतः नरवाई न जलाकर उसके विकल्प पर काम करने की आवश्यकता है.
कलेक्टर ने सभी एसडीएम, तहसीलदार , नायब तहसीलदार को निर्देश दिए हैं कि वे लगातार ऐसी घटनाओं पर नजर रखें. किसान भाइयों को समझाएं साथ ही घटना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज करें.
शासन के निर्देशों के अनुसार जिला दंडाधिकारी किसानों को नियमित समझाईश दें किंतु समझाईश पर अमल न करने की स्थिति में आर्थिक दण्ड अधिरोपित करने का प्रावधान रखा गया है. यदि कृषक का रकबा 2 एकड़ से कम है तो पर्यावरण क्षति पूर्ति राशि रू 2500/-, 2 एकड से 5 एकड़ होने पर 5000/- और 5 एकड़ से अधिक होने पर 15000 /- रूपए पर्यावरण क्षति पूर्ति राशि वसूली जाएगी.
कलेक्टर ने जिले के सभी किसानों से अपील की है कि वे खेतों में नरवाई फसल की कटाई के बाद बचा अवशेष न जलाएं. नरवाई जलाने से न केवल वातावरण प्रदूषित होता है, बल्कि भूमि की उपजाऊ शक्ति भी कम हो जाती है। इसके अलावा इससे आसपास के इलाकों जंगल में आग लगने का भी खतरा बना रहता है.
उन्होंने किसानों को नरवाई के निस्तारण के लिए वैकल्पिक उपाय जैसे हैप्पी सीडर, सुपर सीडर का उपयोग, जैविक खाद बनाने, मल्चर मशीन का उपयोग करने या कंपोस्टिंग विधि से अवशेषों को नष्ट करने की सलाह दी है। यदि कोई किसान नियमों का उल्लंघन करते हुए नरवाई जलाता है, तो उसके खिलाफ जुर्माना व कानूनी कार्रवाई भी करने के निर्देश हैं.