उत्तर प्रदेश के बागपत में महिला आयोग की सदस्य मीनाक्षी भराला के बयान ने नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने कहा कि 18 साल से कम उम्र की लड़कियों को मोबाइल फोन इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। भराला का मानना है कि मोबाइल के दुरुपयोग से नाबालिग लड़कियां ब्लैकमेलिंग, मानसिक तनाव और कई बार आत्महत्या जैसी गंभीर स्थितियों का सामना करने लगती हैं।
भराला बागपत के खिंदोड़ा गांव में एक लापता लड़की के परिजनों से मिलने पहुंची थीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन के कारण आए दिन लड़कियों की ऑडियो और वीडियो क्लिप वायरल हो जाती हैं, जिससे उनकी निजी जिंदगी प्रभावित होती है। कई बार यही क्लिप ब्लैकमेलिंग का जरिया बन जाती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बातचीत के बहाने कुछ युवक लड़कियों के वीडियो बनाकर उन्हें धमकाते हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है।
महिला आयोग सदस्य ने ऑनर किलिंग जैसे मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि बागपत की कई लड़कियां इसी डर से घर छोड़कर भागने को मजबूर होती हैं। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे नाबालिग बेटियों को मोबाइल फोन न दें और उनके इस्तेमाल पर सख्त निगरानी रखें। भराला ने कहा कि भाजपा सरकार बेटियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन दुख की बात यह है कि एक बेटी को तलाश करने के लिए इतनी मशक्कत करनी पड़ रही है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि लापता लड़की को खोजने के लिए प्रयास तेज किए जाएंगे।
इस बयान ने जिले और सोशल मीडिया पर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। कई लोग इसे सही ठहराते हुए कह रहे हैं कि नाबालिग बच्चों को मोबाइल फोन से दूर रखना ही उनके भविष्य के लिए बेहतर है। वहीं, दूसरी ओर आलोचकों का कहना है कि यह लड़कियों की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की कोशिश है। उनका कहना है कि समस्या मोबाइल फोन में नहीं, बल्कि इसके दुरुपयोग को रोकने के उपायों की कमी में है।
इस बयान के बाद समाज के विभिन्न वर्गों से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं और यह मुद्दा अब राज्यभर में चर्चा का विषय बन गया है।