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सुल्तानपुर जिले के जयसिंहपुर बार एसोसिएशन के अधिवक्ता हुए मुखर: एसडीएम के निलंबन को लेकर की नारेबाजी

Uttar Pradesh: सुल्तानपुर जिले के जयसिंहपुर के तत्कालीन उप जिलाधिकारी संतोष कुमार ओझा के निलंबन को लेकर जयसिंहपुर बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं में आक्रोश बढ़ता जा रहा है, सुबह दर्जनों की संख्या में अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन न्यायिक मजिस्ट्रेट को सौंपकर शासन से मामले में निष्पक्ष जांचकर एसडीएम पुनः बहाली करने की मांग किया है.

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जयसिंहपुर तहसील में तैनात रहे

उपजिलाधिकारी संतोष कुमार ओझा के शासन से निलंबन की कार्यवाही से अधिवक्ताओं में आक्रोश बढ़ गया है, बार एसोसिएशन अध्यक्ष विजय शंकर शुक्ल के नेतृत्व में दर्जनों अधिवक्ताओं ने तहसील मुख्यालय पर प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की. बार एसोसिएशन के आक्रोशित अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री को संबोधित एक पत्र न्यायिक मजिस्ट्रेट जयसिंहपुर शिव प्रसाद को सौंपते हुए मामले में निष्पक्ष जांच करते हुए ईमानदार छवि अधिकारी के बहाली की मांग की. इस मौके पर बार एसोसिएशन अध्यक्ष विजय शंकर शुक्ल,वरिष्ठ अधिवक्ता सुधाकर चतुर्वेदी,बब्बन प्रसाद, रवि शंकर मिश्र, अनिल,रमाकांत, देवानन्द, महेंद्र, बाबूलाल यादव,सन्तोष मिश्र,चन्द्र प्रकाश,विवेक श्रीवास्तव ,राम सजीवन विश्वकर्मा समेत अन्य अधिवक्तागण मौजूद रहे.

जानिए क्या है मामला…

जयसिंहपुर तहसील के एसडीएम संतोष कुमार ओझा को शासन ने सस्पेंड कर दिया है. 2 दिसंबर को उनके कोर्ट के पेशकार समरजीत पाल को अयोध्या एंटी करप्शन टीम ने रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था. इस घटना के बाद शासन ने एसडीएम पर कार्रवाई की है, इससे पहले पेशकार को निलंबित किया जा चुका है. दरअस्ल गोसाईंगंज के माधवपुर छतौना निवासी समरजीत पाल, जो जयसिंहपुर एसडीएम कोर्ट में पेशकार थे, को पांच हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया. अयोध्या एंटी करप्शन टीम ने तहसील के पास के मैदान में यह कार्रवाई की. टीम ने समरजीत को गोसाईंगंज थाने ले जाकर एफआईआर दर्ज कराई. एंटी करप्शन टीम के अनुसार, मोतिगरपुर के पारस पट्टी निवासी मोहर्रम अली ने 24 नवंबर को अयोध्या एंटी करप्शन कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में बताया गया था कि उनके पिता की जमीन पर उनके चाचा अल्लादीन कब्जा कर निर्माण करवा रहे हैं.

शिकायती पत्र के बाद मांगी रिश्वत

22 नवंबर को मोहर्रम अली के पिता ने एसडीएम जयसिंहपुर को सरकारी बंटवारे और स्थगन आदेश के लिए प्रार्थना पत्र दिया था. लेकिन पेशकार समरजीत ने इसके बदले 25 हजार रुपये की मांग की। पहले पांच हजार तुरंत देने और बाकी पैसे बाद में देने की बात हुई.

28 नवंबर को मोहर्रम अली ने एंटी करप्शन टीम को रिश्वतखोरी की सूचना दी। 29 नवंबर को जांच में आरोप सही पाए गए. इसके बाद एंटी करप्शन टीम ने 2 दिसंबर को जाल बिछाकर पेशकार को गिरफ्तार कर लिया.

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