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अफगानिस्तान: नहीं बदला तालिबान, 3 साल में 14 लाख बच्चियों को स्कूल जाने से रोका

अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी को तीन साल हो चुके हैं. अगस्त 2021 में, जब अमेरिका और नाटो सेनाएं अफगानिस्तान से निकलीं, तालिबान ने तेजी से देश पर नियंत्रण करना शुरू कर दिया. अंतरराष्ट्रीय समर्थन वाली सरकार के प्रमुख राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए और 15 अगस्त 2021 को तालिबान ने काबुल में प्रवेश कर राष्ट्रपति आवास पर कब्जा कर लिया. इन तीन सालो में अफगानिस्तान में कई आर्थिक और सामाजिक चुनौतियाँ सामने आई हैं, और तालिबान ने इस्लामी कानून लागू करते हुए महिलाओं की शिक्षा पर कई प्रतिबंध लगाए हैं.

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अफगानिस्तान में लड़कियों की पढ़ाई पर गंभीर असर पड़ा है. यूनेस्को के अनुसार, 2021 में तालिबान के सत्ता में वापस आने के बाद से अफगानिस्तान में कम से कम 1.4 मिलियन लड़कियों को माध्यमिक शिक्षा से दूर कर दिया गया है. माना जा रहा है कि इससे एक पूरी पीढ़ी का भविष्य खतरे में आ गया है. UNESCO के अनुसार, प्राइमरी एजुकेशन तक पहुंच में भी तेजी से गिरावट आई है.

2022 में अफगानिस्तान में प्राइमरी स्कूल में केवल 5.7 मिलियन लड़कियां और लड़के थे, जबकि 2019 में यह संख्या 6.8 मिलियन थी. इसका कारण महिला शिक्षकों को लड़कों को पढ़ाने से प्रतिबंधित करना और माता-पिता को बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहन की कमी है.

सिर्फ तीन सालों में अधिकारियों ने अफगानिस्तान में पढ़ाई के लिए दो दशकों की पढ़ाई को लगभग मिटा दिया है, और एक पूरी पीढ़ी का भविष्य अब खतरे में है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा, “लगभग 2.5 मिलियन लड़कियां पढ़ाई के अपने अधिकार से दूर हैं, जो अफगान स्कूल जाने वाली लड़कियों का 80 प्रतिशत है.” तालिबान प्रशासन, जिसे किसी अन्य देश द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है, उसने महिलाओं पर प्रतिबंध लगाए हैं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने “लैंगिक रंगभेद” के रूप में डिस्क्राइब किया है.

उच्च शिक्षा में दाखिले की संख्या भी काफी खराब रही है. इसमें कहा गया है कि 2021 से विश्वविद्यालय के छात्रों की संख्या में 53 प्रतिशत की कमी आई है. यूनेस्को के महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगान लड़कियों और महिलाओं के लिए स्कूलों और विश्वविद्यालयों को बिना शर्त फिर से खोलने के लिए, प्रतिबद्ध रहने का अनुरोध किया है.

UNESCO की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने कहा है, आज के समय में अफ़ग़ानिस्तान एक ऐसा देश है जहां 12 साल से ऊपर की लड़कियों और महिलाओं को पढ़ाई करने की अनुमति नहीं है. उन्होंने ये भी कहा, “ये स्थिति सभी के लिए चिंता का विषय है. शिक्षा का अधिकार किसी बातचीत या समझौते का विषय नहीं होना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर अफगान लड़कियों और महिलाओं के लिए बिना शर्त स्कूलों और विश्वविद्यालयों को फिर से खोलने के प्रयास करने चाहिए.

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