छत्तीसगढ़ के कई जिलों में अवैध रूप से रह रहे अफगानी, ATS ने जबलपुर में एक को गिरफ्तार किया

बांग्लादेशी घुसपैठियों के बाद अब प्रदेश में अफगानिस्तान से अवैध रूप से आए नागरिकों के बसने का मामला सामने आया है। इसका राजफाश मध्य प्रदेश के जबलपुर में एंटी टेरेरिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) द्वारा अफगानी नागरिक शोहबत खान की गिरफ्तारी के बाद हुआ।

बता दें कि शोहबत पिछले 10 वर्षों से फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारत में रह रहा था और उसने जबलपुर में रहते हुए आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस और मूल निवास प्रमाण पत्र तक बनवा लिया था। शोहबत ने भोपाल में अफगानी शरणार्थी महिला से शादी कर भारतीय पहचान को और मजबूत करने का प्रयास किया।

प्रारंभिक पूछताछ में शोहबत ने राजफाश किया कि उसने कम से कम 20 अफगानी नागरिकों को छत्तीसगढ़ के रायपुर, पश्चिम बंगाल और झारखंड के विभिन्न जिलों में बसाया है। उसने जबलपुर में फर्जी भारतीय दस्तावेज तैयार करवाकर इन नागरिकों को अवैध रूप से भारत में स्थापित किया।

चुनावी सेल के कर्मचारियों से साठगांठ

शोहबत की निशानदेही पर एटीएस ने जबलपुर वन विभाग में कार्यरत दो कर्मचारी दिनेश गर्ग और कुमार सुखदन को गिरफ्तार किया है। दोनों चुनावी सेल में कार्यरत थे और इन्होंने शोहबत का नाम वोटर लिस्ट में शामिल कराने में मदद की थी। कर्मचारियों को कुल 10 लाख की रिश्वत देकर फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए थे।

जांच से जुड़े मुख्य बिंदु

  • 20 से अधिक अफगान नागरिकों को रायपुर, बंगाल, झारखंड में बसाया गया।
  • शोहबत ने फर्जी दस्तावेजों के लिए 10 लाख की रिश्वत दी।
  • दो सरकारी कर्मचारी गिरफ्तार।
  • पासपोर्ट, आधार, वोटर आइडी सब फर्जी।
  • इंटरनेट मीडिया पर हथियारों की फोटो से हुई कार्रवाई की शुरुआत।

बांग्लादेशी नागरिकों के तार भी मध्य प्रदेश से जुड़े थे

इससे पहले रायपुर के टिकरापारा थाना क्षेत्र में पकड़े गए बांग्लादेशी नागरिकों के तार भी मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड से जुड़ चुके हैं। अंडा ठेले लगाने वाले बांग्लादेशी नागरिक ने मध्य प्रदेश के रीवा से फर्जी मार्कशीट बनवाकर रायपुर में आधार, पासपोर्ट और राशन कार्ड बनवा लिया था।

हथियारों की तस्वीर बनी शक की वजह

शोहबत की संदिग्ध गतिविधियों पर एटीएस की नजर तब गई जब उसने इंटरनेट मीडिया पर विदेशी हथियारों के साथ अपनी तस्वीरें साझा की। इसके बाद उसकी निगरानी शुरू हुई और धीरे-धीरे उसके अफगानिस्तान कनेक्शन सामने आए। पूछताछ के दौरान ही पूरे रैकेट का भंडाफोड़ हुआ। एटीएस को आशंका है कि यह केवल अवैध नागरिकता का मामला नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी एक बड़ी साजिश और संगठित अपराध नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है।

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