महाराष्ट्र की एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अपने पति से हर महीने एक करोड़ रुपये गुजारा भत्ता मांगा है, जिससे मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में सीजेआई बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच भी हैरान रह गई। महिला ने बिना किसी वकील के खुद दलील पेश की और कहा कि उसे मुंबई स्थित घर और 12 करोड़ रुपये गुजारा भत्ता चाहिए। इस पर सीजेआई ने सवाल उठाया कि शादी केवल 18 महीने चली है और अब आप बीएमडब्ल्यू और 1 करोड़ रुपये प्रति माह मांग रही हैं। अदालत ने महिला की शिक्षा और रोजगार क्षमता पर भी सवाल खड़े किए और पूछा कि आपने एमबीए किया है, आईटी एक्सपर्ट हैं, फिर नौकरी क्यों नहीं करतीं।
महिला ने जवाब में कहा कि उसका पति बहुत अमीर है और उसने यह कहते हुए शादी रद्द करने की मांग की थी कि वह सिजोफ्रेनिया से पीड़ित है। महिला ने बेंच से सवाल पूछा, “क्या मैं सिजोफ्रेनिया से पीड़ित दिखती हूं?” पति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दीवान ने महिला की मांगों का विरोध करते हुए कहा कि हर चीज की मांग ऐसे नहीं की जा सकती, उन्हें भी काम करना पड़ता है। कोर्ट ने महिला से आयकर रिटर्न के दस्तावेज मांगे और कहा कि आप अपने ससुर की संपत्ति पर दावा नहीं कर सकतीं।
महिला ने रिटर्न के दस्तावेज पेश किए, जिस पर दीवान ने बताया कि 2015-16 में महिला की आय अधिक थी क्योंकि वह उस समय नौकरी करती थीं। उन्होंने यह भी कहा कि जिस फ्लैट में महिला रह रही हैं, उसमें दो कार पार्किंग हैं जिससे कमाई की जा सकती है। सीजेआई ने कहा कि मुंबई में हर जगह का मुद्रीकरण हो सकता है और महिला को या तो बिना किसी और मांग के फ्लैट मिलेगा या फिर कुछ भी नहीं। बीएमडब्ल्यू के बारे में दीवान ने बताया कि वह 10 साल पुरानी कार है और कबाड़ हो चुकी है।
महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति ने उसके वकील को प्रभावित किया है, जिस पर बेंच ने आश्चर्य जताया। सीजेआई ने सुझाव दिया कि बेहतर होगा कि महिला फ्लैट से संतुष्ट हो या 4 करोड़ लेकर नई नौकरी ढूंढे। महिला ने कहा कि उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज है तो नौकरी कैसे मिलेगी। इस पर सीजेआई ने कहा कि कोर्ट एफआईआर भी रद्द कर सकता है। सुनवाई के अंत में कोर्ट ने कहा कि महिला उच्च शिक्षित है, उसे खुद के लिए खड़ा होना चाहिए, और आदेश सुरक्षित रख लिया गया है।