छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित पोलमपाड़ गांव में दशकों बाद फिर से बिजली पहुंची है। अंधेरे में डूबा यह क्षेत्र अब रोशनी से जगमगा उठा है। गांव में बिजली पहुंचने की खुशी में लोगों ने घरों में बल्ब जलाकर एक-दूसरे को मिठाई बांटी और बधाइयां दीं। यह बदलाव पुलिस-प्रशासन और सीआरपीएफ की 223वीं बटालियन के संयुक्त प्रयासों से संभव हो पाया है।
नक्सलियों के आतंक से था विकास ठप
- पोलमपाड़ गांव सुकमा जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। यह क्षेत्र वर्षों से माओवादियों के प्रभाव में रहा है। 2006 में जब सलवा जुडूम अभियान शुरू हुआ, तो नक्सलियों ने इलाके को पूरी तरह बिजली विहीन कर दिया था। उन्होंने बिजली खंभे तोड़कर बिजली आपूर्ति रोक दी थी।
- उसके बाद से ग्रामीणों का बाहरी दुनिया से संपर्क लगभग टूट गया था। यहां तक कि लोगों को अपने निजी कामों के लिए भी नक्सलियों से अनुमति लेनी पड़ती थी।
शांति के साथ लौट रहा है विकास
सीआरपीएफ और जिला पुलिस द्वारा पोलमपाड़ में सुरक्षा कैम्प की स्थापना के बाद स्थिति में बड़ा बदलाव आया है। अब ग्रामीण बिना डर के आवागमन कर पा रहे हैं। शासन की “नियद नेला नार” योजना के तहत पोलमपाड़ से रायगुड़म तक सड़क निर्माण भी जारी है, जिससे आवागमन और आपूर्ति व्यवस्था बेहतर होगी।
ग्रामीणों में दिखा उत्साह
बिजली बहाल होते ही ग्रामीणों ने प्रशासन और सुरक्षा बलों का आभार जताया। लोगों ने कहा कि अब वे अन्य बुनियादी सुविधाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और पीने के पानी की मांग भी सरकार से करने लगे हैं। लंबे समय तक डर के साए में जीने वाले लोग अब उम्मीद की नई रोशनी देख रहे हैं।