भारत में त्योहारी सीजन हमेशा से गोल्ड ज्वेलरी (Gold Jewellery) की खरीदारी का शुभ समय माना जाता है. लेकिन इस साल सोने की रिकॉर्ड कीमतों ने खरीदारों और निवेशकों को दुविधा में डाल दिया है. दरअसल, 2024 में सोना ना केवल नए शिखर पर पहुंचा है, बल्कि इसने अपने निवेशकों को शानदार रिटर्न भी दिया है. इन बढ़ी हुई कीमतों का असर बाजार और खरीदारी पर भी साफ नजर आ रहा है. सोमवार के शुरुआती कारोबार के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें बढ़कर 2,720 डॉलर प्रति औंस के करीब पहुंच गई.
ऐसे में इस समय सोना खरीदने को लेकर भी लोग फैसला नहीं कर पा रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतों में तेजी ने खरीदारों के उत्साह को कमजोर किया है. करवा चौथ और धनतेरस जैसे त्योहारों पर ज्वेलर्स को उम्मीद थी कि कीमतें स्थिर रहेंगी और बिक्री में उछाल आएगा.
करवा चौथ पर बिकी इतनी ज्वेलरी
लेकिन बढ़ी हुई कीमतों की वजह से कई ग्राहकों ने भारी ज्वेलरी की जगह हल्के और ट्रेंडी डिजाइन वाले मंगलसूत्र और रिंग्स को प्राथमिकता दी. इन हल्के आइटम्स की वजह से करवा चौथ पर ज्वेलरी इंडस्ट्री ने देशभर में 3300 करोड़ रुपये की बिक्री करने में कामयाबी हासिल की है.
लेकिन मौजूदा ऊंची कीमतों के असर से ये ट्रेंड धनतेरस-दीवाली तक जारी रहेगा या नहीं ये कहना मुश्किल है. इसकी वजह है कि ऊंची कीमतों के चलते कई लोग पुराने गहनों का एक्सचेंज कर नई ज्वेलरी में निवेश कर रहे हैं. जानकारों के मुताबिक लॉन्ग टर्म के लिए सोना अभी भी एक सुरक्षित विकल्प है, क्योंकि वैश्विक अनिश्चितताएं आगे भी इसकी कीमतों को बढ़ा सकती हैं.
आगे कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना…
आने वाले कुछ महीनों में गोल्ड (Gold) की कीमतों में 10 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है. साल के आखिर तक इसके 80 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक जाने के आसार हैं. पश्चिम एशिया में तनाव और वैश्विक अनिश्चितता ने सोने की डिमांड को बढ़ाया है. जानकारों का मानना है कि अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती और डॉलर में कमजोरी भी सोने की कीमतों को बढ़ावा दे रही है. ग्लोबल अनिश्चितता के समय में गोल्ड में निवेश बढ़ जाता है. इसके अलावा अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों पर लिए गए फैसलों का असर भी गोल्ड पर बढ़ा है.
गोल्ड की कीमतों ने इस साल रिटर्न के मामले में शेयर बाजार समेत निवेश के तमाम विकल्पों को काफी पीछे छोड़ दिया है. आंकड़ों के मुताबिक 2024 में सोने ने 31.33 फीसदी का रिटर्न देकर पिछले 45 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा है. इससे पहले 2007 में निवेशकों को गोल्ड से 31.02 परसेंट का रिटर्न मिला था.
बता दें, साल 2010 में निवेशकों को गोल्ड से 29.61 फीसदी का रिटर्न मिला था. जबकि 2020 में 25.09 फीसदी, 2002 में 24.79 फीसदी, 2009 में 24.64 फीसदी, 2006 में 23.54 फीसदी, जबकि 1986 में 21.58 फीसदी और 1987 में गोल्ड ने 21.53 फीसदी रिटर्न दिया था. इसके अलावा पिछले 45 सालों में किसी भी साल निवेशकों को 20 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न नहीं मिला.
कब-कब सोने ने कराया नुकसान
1980 से अब तक कुल 25 साल ऐसे रहे हैं, जब गोल्ड ने पॉजिटिव रिटर्न दिया है और 20 साल ऐसे रहे हैं जब गोल्ड ने नेगेटिव रिटर्न दिया हो. निवेशकों को सबसे ज्यादा निराशा 1981 में हुई थी, जब गोल्ड से उन्हें 32.18 फीसदी का नुकसान हुआ था. इसके अलावा किसी भी साल में 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट नहीं आई. 2013 में गोल्ड 28.04 फीसदी लुढ़का था और 1984 में ये 20.03 फीसदी गिरा था. इसके बाद 1997 में निवेशकों को 19.58 फीसदी का घाटा हुआ था.
बढ़ती कीमतों और मजबूत रिटर्न ने सोने को एक सुरक्षित निवेश विकल्प बना दिया है. हालांकि कीमतों में तेजी के असर से त्योहारों में इसकी बिक्री गिरने की आशंका बढ़ गई है. अनुमान लगाया जा रहा है कि ऊंची कीमतों के चलते त्योहारी सीजन में बिक्री का वॉल्यूम 20 फीसदी तक गिर सकता है.