छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में तांदुला बांध में भालू की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में वन विभाग ने अधिकारियों और कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। बलोद वनमंडलाधिकारी बीएस सरोटे ने उपवनमंडलाधिकारी को इस मामले की जांच कर 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
वनमंडलाधिकारी ने साफ कहा है कि इस मामले में यदि किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की लापरवाही या संलिप्तता सामने आती है, तो उनके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बतादें कि भास्कर डिजिटल ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
भालू का शव कहां गया
दरअसल, तांदुला बांध में मछली पालन कार्य की मॉनिटरिंग करने वाले चौकीदारों को फरवरी के अंतिम सप्ताह में बांध में भालू का शव मिला था। जिसे वन विभाग को सौंप दिया गया था। लेकिन उसका शव पंचनामा और पोस्टमार्टम के बिना ही गायब कर दिया गया। इसके बाद क्या हुआ, यह किसी को मालूम नहीं है।
इधर, चौकीदारों का दावा है कि उन्होंने तुरंत वन विभाग को सूचना दी थी और विभाग की टीम शव को अपने साथ ले गई थी। लेकिन अब वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।
वन विभाग के पास कोई रिकॉर्ड नहीं
चौंकाने वाली बात यह है कि वन विभाग और पशु चिकित्सा विभाग, किसी के पास भी इस भालू की मौत का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है। विभाग के अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि जिले में इस साल एक भी भालू की मौत नहीं हुई। जबकि इस घटना के प्रमाण के रूप में भालू के शव की तस्वीरें, वीडियो और चश्मदीदों के बयान मौजूद हैं।
मौत के बाद जरूरी प्रक्रियाओं की अनदेखी
किसी भी वन्य प्राणी की मौत के बाद उसके पोस्टमार्टम, वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी और दाह संस्कार की प्रक्रिया अनिवार्य होती है। नियम के अनुसार रेंजर कार्यालय से अनुविभागीय अधिकारी (वन) को आधिकारिक पत्र भेजा जाता है।
जिसके बाद पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंचकर पोस्टमार्टम करती है। इस प्रक्रिया के दौरान वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई जाती है, ताकि मामले में पारदर्शिता बनी रहे। इसके बाद निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत शव का दाह संस्कार किया जाता है।
सरकार इस पूरी प्रक्रिया के लिए विभाग के माध्यम से अलग से फंड जारी कर जरूरी इंतजाम भी करती है, ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता न हो लेकिन भालू की संदिग्ध परिस्थिति में मौत के मामले में इन सभी नियमों की अनदेखी कर शव को गुपचुप तरीके से गायब कर देना संदेहास्पद है।
पिछले रिकॉर्ड में सिर्फ एक मौत दर्ज, इस घटना का कोई जिक्र नहीं
दैनिक भास्कर की जांच में पाया गया कि पशु चिकित्सा विभाग के रिकॉर्ड में इस साल किसी भी भालू की मौत की सूचना दर्ज नहीं है। पिछली बार 4 जून 2024 को गुरूर रेंज के बालोदगहन में एक भालू की सड़क हादसे में मौत दर्ज की गई थी। लेकिन फरवरी से अब तक इस संदिग्ध मौत की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई।
वन विभाग ने सूचना क्यों नहीं दी
पशु चिकित्सा विभाग के प्रभारी उप संचालक डॉ. डीके सिहारे का कहना है कि उन्हें भालू की मौत की कोई सूचना नहीं मिली। आमतौर पर वन विभाग इस तरह के मामलों में सूचना देता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। सवाल यह है कि वन विभाग ने इस मामले को छिपाने की कोशिश क्यों की।