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Porsche Accident: पुणे पोर्श केस में आरोपी के दादा और पिता के बाद अब मां भी गिरफ्तार, किया था ये बड़ा गुनाह

पुणे पुलिस ने पोर्शे कार दुर्घटना मामले में नाबालिग आरोपी की मां को गिरफ्तार कर लिया है. इस बात की पुष्टि हो गई है कि किशोर के खून के नमूने उसकी मां के ब्लड सैंपल से बदले गए थे. पुलिस ने दो दिन पहले एक स्थानीय अदालत में कहा था कि आरोपी किशोर के रक्त के नमूने एक महिला के रक्त के नमूने से बदले गए थे.

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पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने शनिवार को बताया कि जांच में यह पता चला है कि आरोपी के रक्त नमूने उसकी मां के ब्लड सैंपल से बदले गए थे जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया है. पुणे पोर्शे दुर्घटना मामले में 17 वर्षीय आरोपी की मां शिवानी अग्रवाल को पुणे पुलिस ने आधी रात को गिरफ्तार किया है. शिवानी अग्रवाल की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब यह पता चला कि उन्होंने शहर के एक अस्पताल में अपने खून का नमूना दिया था जिसे उनके बेटे के खून से बदल दिया गया था.

पुणे के कल्याणी नगर में 19 मई को पोर्शे कार चला रहे 17 वर्षीय नाबालिग ने मोटरसाइकिल सवार दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर को जोरदार टक्कर मार दी थी. इससे दोनों की मौत हो गई थी. पुलिस ने दावा किया कि आरोपी नशे की हालत में कार चला रहा था. मामले के 17 वर्षीय आरोपी को एक सुधार गृह में भेज दिया गया. जबकि उसके पिता एवं रियल एस्टेट कारोबारी विशाल अग्रवाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल को परिवार के वाहन चालक का कथित तौर पर अपहरण करने और उस पर हादसे की जिम्मेदारी लेने का दबाव बनाने के लिए गिरफ्तार किया गया है.

फिलहाल नाबालिग के पिता और दादा 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में हैं. पुलिस ने ससून जनरल अस्पताल में फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के तत्कालीन प्रमुख डॉ. अजय तवरे, चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीहरि हलनोर और कर्मचारी अतुल घाटकांबले को भी नाबालिग के रक्त के नमूनों में हेरफेर करने के आरोप में गिरफ्तार किया है, ताकि यह दिखाया जा सके कि दुर्घटना के समय वह नशे में नहीं था.

सैंपल बदलने के लिए 3 लाख रुपये

पुलिस की मानें तो गिरफ्तार डॉक्टरों में से एक विशाल अग्रवाल और डॉ. अजय तवरे के बीच लगभग एक दर्जन कॉलों का आदान-प्रदान हुआ. वो भी उस समय जब आरोपी नाबालिग के खून की जांच हो रही थी. ताकि पता लगाया जा सके कि कार चलाते समय वो नशे में था या नहीं. पुलिस को पता चला कि डॉ. अजय तवरे पुणे दुर्घटना की रात छुट्टी पर थे और उन्हें किसी का फोन आया था. उन्होंने रक्त के नमूनों में हेरफेर करने के लिए डॉ. हैलनोर को बुलाया. इस काम के लिए उन्होंने 3 लाख रुपये भी लिए.

हादसे में दो इंजीनियर की मौत

किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) ने पुलिस को पोर्शे दुर्घटना में कथित रूप से शामिल नाबालिग की जांच करने की अनुमति दी है. किशोर न्याय अधिनियम के तहत नाबालिग से पूछताछ माता-पिता की उपस्थिति में की जानी है. जेजेबी ने 19 मई की दुर्घटना के कुछ घंटों बाद रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के बेटे किशोर को जमानत दे दी थी. साथ ही उसे सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने के लिए कहा था. लेकिन राष्ट्रव्यापी आक्रोश के बीच, जेजेबी ने आदेश में संशोधन किया और नाबालिग आरोपी को 5 जून तक अवलोकन गृह भेज दिया.

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