भोपाल : मध्यप्रदेश में लाड़ली बहना योजना के बाद अब सरकार गर्भवती महिलाओं को बड़ी राहत देने जा रही है. प्रदेश में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए बर्थ वेटिंग होम में पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन 100 रु का आर्थिक लाभ दिया जाएगा. इसका लाभ प्रदेश के आदिवासी जिलों की गर्भवती महिलाओं को दिया जाएगा. सरकार की कोशिश है कि घर पर होने वाले प्रसव को रोका जाए, जिससे इन क्षेत्रों में मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके.
तीन जिलों से शुरू की जा रही यह सुविधा
मध्यप्रदेश में मातृ मृत्यु दर 173 प्रति 1 लाख है, जो कि राष्ट्रीय औसत 97 से तकरीबन दोगुना है. मातृ मृत्यु दर के मामले में प्रदेश में सबसे ज्यादा खराब स्थिति आदिवासी अंचलों में है. मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रदेश के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में बर्थ वेटिंग होम बनाए जाएंगे, जिससे गर्भवती महिलाएं यहां प्रसव के कुछ दिन पहले ही पहुंच जाएं. एनएचएम अधिकारियों के मुताबिक आदिवासी अंचलों में गिनी चुनी महिलाएं ही इन बर्थ वेटिंग होम में पहुंच रही हैं. इसे देखते हुए इन बर्थ वेटिंग होम में पहुंचने वाली महिलाओं को राज्य सरकार द्वारा प्रति दिन 100 रुपए का भुगतान किया जाएगा. इसकी शुरुआत झाबुआ, अलीराजपुर और बड़वानी से की जा रही है.
अन्य जिलों में भी शुरू होगी योजना
बताया जाता है कि आदिवासी जिलों में महिलाएं अस्तपाल में एक सप्ताह तक इसलिए एडमिट रहना नहीं चाहती, क्योंकि उन्हें मजदूरी में नुकसान होगा. ऐसे में राज्य सरकार 100 रुपए प्रतिदिन का भुगतान कर एक तरह से उनकी मजदूरी की भरपाई करेगी. प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों के साथ 47 जिलों के 71 सिविल हॉस्पिटल और 249 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में बर्थ वेटिंग होम की सुविधा शुरू की जा रही है. प्रदेश में अभी तक 119 संस्थाओं में बर्थ वेटिंग होम शुरू किए जा चुके हैं. प्रदेश के इन तीन जिलों के परिणाम बेहतर आने के बाद प्रसूताओं को वेटिंग होम में रुकने पर 100 रुपए प्रतिदिन की राहत अन्य जिलों में भी दी जाएगी.