पत्नी की हत्या कर रचा आत्महत्या का ड्रामा, ऐसे खुली कातिल पति की पोल, 11 साल बाद उम्रकैद 

दिल्ली की एक अदालत ने 11 साल पुराने एक जघन्य हत्याकांड में फैसला सुनाते हुए कातिल पति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. आरोपी सतेंद्र पाल सिंह ने अपनी पत्नी की दुपट्टे से गला घोंटकर हत्या कर दी थी. इसके बाद आत्महत्या बताकर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की थी. लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद हत्या का खुलासा हुआ था. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था.

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जानकारी के मुताबिक, यह मामला 2013 का है. 35 वर्षीय महिला विमलेश की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. आरोपी ने पुलिस से कहा कि उसकी पत्नी ने खुदकुशी कर ली. लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट, क्राइम सीन और प्रत्यक्ष परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने यह तय किया कि विमलेश की मौत फांसी लगाने से नहीं, बल्कि गला घोंटने से हुई थी. उसके शरीर पर चोट के निशान भी पाए गए थे.

उके शव को पास बिखरे चूड़ियों के टुकड़े इस बात की गवाही दे रहे थे कि उसने मौत से पहले जोरदार संघर्ष किया था. पुलिस को वो दुपट्टा भी मिल गया, जिससे हत्या की गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गले पर दिखने वाला लिगेचर मार्क असामान्य था, जो आत्महत्या की स्थिति से मेल नहीं खाता था. इसके साथ ही उसका पति सतेंद्र ही आखिरी शख्स था, जिसे उसकी पत्नी के साथ जिंदा देखा गया था.

ऐसे में अदालत ने कहा कि यह आरोपी की जवाबदेही थी कि वह उसकी मौत की परिस्थितियों के बारे में स्पष्ट और विश्वसनीय स्पष्टीकरण दे. लेकिन उसने महज इतना कहा कि यह आत्महत्या थी, जो अदालत के अनुसार बिलकुल अविश्वसनीय और तथ्यों के विरुद्ध था. इसी के आधार पर वारदात के 11 साल बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार की अदालत ने 6 जून को अपना फैसला सुनाया.

87 पन्नों के फैसले में न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी सतेंद्र पाल सिंह का यह दावा पूरी तरह झूठा है कि उसकी पत्नी ने मानसिक बीमारी के चलते आत्महत्या की थी. इसके बाद आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. उस पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. अभियोजन पक्ष ने आरोप को उचित संदेह से परे साबित कर दिया.

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