टाटा ग्रुप अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. ग्रुप की प्रमुख कंपनी टीसीएस साल 2008 की मंदी के बाद अपने सबसे खराब समय में पहुंच गई है. कंपनी की मार्केट वैल्यू 5.66 लाख करोड़ रुपये कम हो गई है. मंदी के साल में कंपनी के शेयर 55 प्रतिशत टूट गए थे. उसके बाद साल 2025 उसके लिए बुरा जा रहा है. इस साल भी कंपनी के शेयर करीब 26 प्रतिशत टूट गए हैं. इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 16.57 लाख करोड़ रुपये से घटकर 10.93 लाख रुपये पर आ गया है.
क्यों गिर रहे हैं कंपनी के शेयर
बीते कई महीनों से भारतीय शेयर बाजार में उठा-पटक जारी है. विदेशी निवेशक धड़ल्ले से पैसा निकाल रहे हैं, जिसके चलते इस सेक्टर पर दबाव देखने को मिल रहा है. कभी FIIs के लिए जो आईटी सेक्टर फेवरेट माना जाता था. अब उन्हीं सेक्टर में कमी देखी जा रही है. फॉरेन इंवेस्टर्स ने टीसीएस में अपनी हिस्सेदारी जून 2024 के 12.35% से घटाकर जून 2025 में 11.48% कर दी है. उनकी भारी बिकवाली के चलते कंपनी के शेयर इस साल 25 प्रतिशत से ज्यादा टूट गए हैं.
निफ्टी आईटी सूचकांक इस साल अब तक 25% गिर चुका है, जिससे यह बाजार का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला सेक्टर गया है. 2025 से जुलाई तक एफआईआई की ओर भारत से निकाले गए 95,600 करोड़ में से आधे से ज्यादा अकेले आईटी शेयरों से आए हैं.
म्यूचुअल फंड में बढ़ा है निवेश
हालांकि, म्यूचुअल फंडों ने विपरीत रुख अपनाया है. घरेलू संस्थानों ने एक साल में टीसीएस में अपनी हिस्सेदारी 4.25% से बढ़कर 5.13% कर ली है और जुलाई के आंकड़ों से पता चलता है कि म्यूचुअल फंडों ने 400 करोड़ रुपये की नई खरीदारी की है. टीसीएस का पिछला पीई 41 गुना से घटकर 20 गुना हो गया है, पांच साल में सीएजीआर 8.5% और शेयर सीएजीआर 6% है. लॉन्ग टर्म आकंड़े बताते हैं कि आईटी ने दो दशकों में सालाना 12.5% की चक्रवृद्धि दर से वृद्धि की है फिर भी पिछले तीन से पांच वर्षों में निफ्टी से कमतर प्रदर्शन किया है.
टीसीएस की ओर से अपने कर्मचारियों की संख्या में 2% की कटौती करने के फैसले की जांच की जा रही है. जेफरीज ने चेतावनी दी कि टीसीएस की ओर से कर्मचारियों की संख्या में कटौती करने के कदम से निकट भविष्य में कार्यान्वयन में कमी और लंबी अवधि में कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है.