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बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद अब ‘इस्लामिक बांग्लास्तान’ बनाने की साजिश, टारगेट पर भारत के ये राज्य

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी ने इस्लामिक बांग्लास्तान बनाने की साजिश रची है. बांग्ला दैनिक बर्तमान ने बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी के प्लान के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने इस्लामिक बांग्लास्तान का नया नक्शा जारी किया है. प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्लामिक बांग्लास्तान में पूरा पश्चिम बंगाल, झारखंड के कुछ हिस्से, उत्तरी बिहार, नेपाल के कुछ हिस्से, पूर्वोत्तर भारत और म्यांमार के कुछ हिस्से शामिल हैं.

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इस्लामिक बांग्लास्तान बनाने के लिए ही बांग्लादेश के छात्र आंदोलन को कट्टर राजनीतिक दलों, धार्मिक संगठनों और भारत विरोधी तबके ने ‘हाईजैक’ कर लिया है. इसके परिणामस्वरूप ही बांग्लादेश में आगजनी, लूटपाट और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार जैसी अराजकता देखने को मिली थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह स्थिति 5 अगस्त को शेख हसीना के पतन के बाद और भी बृहत्तर रूप में विकसित हुई और गुरुवार रात जैसे ही मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ. कट्टरपंथियों ने अपने दांत और पंजे निकाल लिए हैं.

सोशल मीडिया पर जमात और हिफाजत-ए-इस्लाम के समर्थकों ने मांग की कि इस बारगजवातुल हिंद (गैर-मुसलमानों के खिलाफ युद्ध) के बाद ‘इस्लामिक बांग्लास्तान’ हासिल करना होगा.

प्रस्तावित बांग्लास्तान में पूरा बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड का एक बड़ा हिस्सा, बिहार में किशनगंज, कटिहार, नेपाल में झापा, म्यांमार में रखाइन और अराकान क्षेत्र, अंडमान के कुछ हिस्से और पूर्वोत्तर भारत में असम, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और मणिपुर के कुछ हिस्से शामिल हैं.

इस्लामिक संगठन ने इस वांछित क्षेत्र को प्राप्त करने के लिए एक और मुक्ति युद्ध का आह्वान किया है. कहा गया है कि प्रस्तावित ‘बांग्लास्तान’ की आधिकारिक भाषाएं अरबी और उर्दू होंगी. ढाका सहित बांग्लादेश के विभिन्न बड़े शहरों में पहले से ही सड़कों के किनारे दीवारों और संस्थानों को अरबी अक्षरों से लिखा गया गया, अब भारत के खिलाफ सीधी लड़ाई होगी.

रिपोर्ट में खुफिया विभाग की जानकारी का हवाला देते हुए कहा गया है कि बांग्लादेश में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन हरकत-उल-जेहादी-इस्लामी (हूजी), जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी), हेफजेत इस्लाम और जमात पंथी कभी ग्रेटर बांग्लादेश, कभी मुगलिस्तान, तो कभी मुस्लिमाबाद की मांग करते रहे हैं. इसका नया वर्जन बांग्लास्तान है. खुफिया अधिकारियों का कहना है कि लगता है कि इस नई मांग को उठाने में इन संगठनों के बीच ‘कनेक्शन’ का खुलासा हो गया है.

खुफिया विभाग के हवाले से कहा गया है कि पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया पर बांग्लादेशियों के एक वर्ग की सक्रियता चरम पर है. उनके साथ पाकिस्तान के पेशावर, कराची, लाहौर और क्वेटा के कुछ कट्टर भारत-विरोधी ‘ब्लॉगर्स’ भी शामिल थे. यहां तक कि जेएमबी और हुजी जैसे उग्रवादियों ने भी इसके लिए हस्ताक्षर किए हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो दो दिन पहले ही बांग्लादेश की जेल से भागे हैं.

खुफिया अधिकारियों का कहना है कि संगठन की परवाह किए बिना, ऐसे अधिकांश कट्टर नेटिजन्स देश के लिए एक नए नाम और एक नए राष्ट्रगान के पक्ष में हैं. वह इस बारे में सवाल भी पूछ रहे हैं. 1971 के मुक्ति संग्राम, आज़ादी को नकार रहे हैं. इस सूची में कई प्रोफेसर, शिक्षक, प्रौद्योगिकीविद् और एनआरआई बांग्लादेशी शामिल हैं, जिन्होंने हसीना के कार्यकाल के दौरान ‘प्रगतिशील’ की पहचान के साथ विदेश यात्रा की. देश के नए नाम को लेकर जोरदार बहस चल रही है- बांग्लास्तान या पूर्वी पाकिस्तान? सर्वे के मुताबिक 91 फीसदी ने ‘इस्लामिक बांग्लास्तान’ के नाम पर सहमति जताई है.

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