कॉमेडियन कुणाल कामरा ने खुद पर दर्ज एफआईआर के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने एफआईआर की वैधता, शुद्धता और औचित्य को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिक दायर करके एफआईआर रद्द करने की मांग की है. पिछले दिनों उन्होंने एक वीडियो में कथित तौर पर बिना नाम लिए महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को ‘गद्दार’ कहा था, इसके बाद कुणाल कामरा के खिलाफ मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया था.
कुणाल कामरा के वकील हाई कोर्ट के जस्टिस सारंग कोटवाल और एस.एम. मोदक की बेंच के समक्ष याचिका पर बात करेंगे.
मुंबई पुलिस को लिखा था पत्र
हाई कोर्ट में याचिका दायर करने से पहले कुणाल कामरा ने मुंबई पुलिस को पत्र लिखकर गुजारिश किया कि उनका बयान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए दर्ज किया जाए. कॉमेडियन ने यह तब कहा, जब खार पुलिस स्टेशन ने उन्हें तीन समन जारी किए, जिसमें उन्हें विवादास्पद बयान के बारे में पूछताछ के लिए हाजिर होने के लिए कहा गया.
बता दें कि कुणाल कामरा को 2 अप्रैल को तीसरा समन जारी किया गया, जिसमें उन्हें 5 अप्रैल को पूछताछ के लिए पुलिस के सामने हाजिर होने के लिए कहा गया. हालांकि, कुणाल कामरा इन समन का पालन करने में असफल रहे, लिहाजा उन्होंने अपना बयान देने के लिए वीडियो-कॉन्फ़्रेंसिंग विकल्प की गुजारिश की. खार पुलिस ने अभी तक कुणाल कामरा की नई अपील का जवाब नहीं दिया है.
4 अप्रैल को खार पुलिस की एक टीम कुणाल कामरा के खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच करने के लिए पुडुचेरी पहुंची. कुणाल कामरा तमिलनाडु के स्थायी निवासी हैं. इस बीच मद्रास हाई कोर्ट से मामले में 7 अप्रैल तक के लिए कामरा को अंतरिम अग्रिम जमानत मिल गई थी. यह जमानत उन्हें उस राज्य में दी गई है, जहां एफआईआर दर्ज नहीं हुई है, जो गिरफ्तारी से अस्थायी सुरक्षा देती है.
कुणाल कामरा पर क्या आरोप?
24 मार्च को खार पुलिस ने शिवसेना विधायक मुरजी पटेल की शिकायत पर कुणाल कामरा के खिलाफ मामला दर्ज किया. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि उन्होंने शिंदे को ‘गद्दार’ कहकर अपमानित किया था. सूत्रों ने बताया कि कुणाल कामरा ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि वह जांच में सहयोग करेंगे, लेकिन मौजूदा वक्त में वह मुंबई में नहीं हैं. उन्होंने पुलिस से यह भी कहा कि वह अपनी टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांगेंगे.
बाद में एक बयान में कुणाल कामरा ने जोर देकर कहा कि नेताओं का मजाक उड़ाना कानून के खिलाफ नहीं है. उनके बयान के एक हिस्से में लिखा कि किसी प्रभावशाली नेता पर मजाक करना कानून के खिलाफ नहीं है. अगर किसी मजाक से किसी की भावना आहत होती है, तो इसका मतलब ये नहीं कि मेरा अभिव्यक्ति का अधिकार खत्म हो जाता है.