थोक के बाद रिटेल महंगाई हुई कम, 67 महीनों बाद देखने को मिला ये दिन

थोक महंगाई के आंकड़े आने के कुछ ही घंटों के बाद अब रिटेल महंगाई के आंकड़े भी सामने आ गए हैं. खास बात तो ये है रिटेल महंगाई 67 महीने यानी अगस्त 2029 के बाद सबसे कम देखने को मिली है. शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च में भारत की खुदरा महंगाई सालाना आधार पर 3.34 फीसदी तक कम हो गई. फरवरी में, महंगाई मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में नरमी के कारण, साल-दर-साल सात महीने के निचले स्तर 3.61 फीसदी पर आ गई थी. अब देश की महंगाई 67 महीनों के लोअर लेवल पर आ गई है. वैसे 3 से 8 अप्रैल तक 40 अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए रॉयटर्स पोल ने अनुमान लगाया था कि मार्च में महंगाई लगभग 3.60 फीसदी होगी. खुदरा महंगाई न केवल भारतीय रिजर्व बैंक के 2-6 फीसदी के टॉलरेंस बैंड के भीतर है, बल्कि 4 फीसदी से कम देखने को मिल रही है. ये लगातार दूसरा महीना है आराम से रही, बल्कि आदर्श 4% मुद्रास्फीति लक्ष्य से भी नीचे रही.

Advertisement

महंगाई पर आरबीआई का मत

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने इस बुधवार को मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के फैसलों का ऐलान करते हुए कहा था कि महंगाई में गिरावट का रुख रहा है, जिसे खाद्य कीमतों में कमी के कारण स्पोर्ट मिला है. उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 26 में महंगाई में और कमी आने की उम्मीद है, जो संभावित रूप से लागत दबाव से जूझ रहे परिवारों को राहत प्रदान करेगी. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने आगाह किया कि वह वैश्विक अनिश्चितताओं के प्रति सतर्क है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को अपनी “रेसिप्रोकल टैरिफ” टैरिफ योजना को क्रियान्वित करते हुए कई देशों पर हाई टैरिफ लगाए. भारत को अपने सभी सामानों पर 26 फीसदी आयात शुल्क का सामना करना पड़ा. हालाँकि राष्ट्रपति ने तब से चीन को छोड़कर सभी देशों पर 9 अप्रैल से प्रभावी 90 दिनों के लिए उच्च दरों को रोक दिया है, लेकिन 10 फीसदी बेस रेट बनी हुई है और साथ ही अलग से 25 फीसदी ऑटो टैरिफ भी लागू है.

4 फीसदी रह सकती है महंगाई

मल्होत्रा ​​ने कहा था कि महंगाई के मोर्चे पर, जबकि खाद्य कीमतों में अपेक्षा से अधिक गिरावट ने हमें राहत दी है, हम वैश्विक अनिश्चितता और मौसम संबंधी व्यवधानों से संभावित जोखिमों के प्रति सतर्क हैं. वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद – जिसमें अमेरिकी टैरिफ वृद्धि से प्रेरित अनिश्चितताएं भी शामिल हैं – एमपीसी ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अपने महंगाई पूर्वानुमान को 4 फीसदी कर दिया है, जोकि फरवरी की बैठक में अनुमानित 4.2 फीसदी से थोड़ा कम है. वित्त वर्ष 26 के लिए, आरबीआई को उम्मीद है कि पहली तिमाही में महंगाई 3.6 फीसदी, दूसरी में 3.9 फीसदी, तीसरी में 3.8 फीसदी और अंतिम तिमाही में 4.4 फीसदी रहेगी.

 

Advertisements