कृषि भूमि को आवासीय बनाकर बेच दी जमीन:महासमुंद में फर्जी दस्तावेज के जरिए की प्लॉटिंग; मुसीबत में खरीदार..

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में एक बड़ा जमीन घोटाला सामने आया है। कृषि भूमि को आवासीय में बदलने के लिए सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी की गई। लोक सेवा केंद्र से प्राप्त भूमि उपयोग प्रमाण पत्र में फोटोशॉप के जरिए बदलाव किया गया।

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मूल प्रमाण पत्र में जहां ‘कृषि’ लिखा था, वहां ‘आवासीय’ कर दिया गया। इस फर्जी दस्तावेज के आधार पर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय में डायवर्सन के लिए आवेदन किया गया। कार्यालय ने बिना जांच-पड़ताल के 12 हजार वर्गफुट जमीन का डायवर्सन मंजूर कर दिया।

अवैध प्लाटिंग कर कई टुकड़ों में बेच दिया

इसके बाद इस कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग कर कई टुकड़ों में बेच दिया गया। यह जमीन नगर और ग्राम निवेश के मास्टर प्लान में आज भी कृषि भूमि के रूप में दर्ज है। इस घोटाले में भू-माफिया, जमीन दलाल और राजस्व अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई है।

जिन लोगों ने अपनी जीवन भर की कमाई से इस जमीन में प्लॉट खरीदे हैं, उनकी स्थिति अब दयनीय है। चूंकि डायवर्सन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किया गया है, इसे किसी भी समय निरस्त किया जा सकता है। इससे खरीदारों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

कोरोना के समय करोड़ों का खेल

बात साल 2022 की, जब लोग कोरोना के चलते उत्पन्न विपरीत परिस्थितियों से जूझ ही रहे थे, तब महासमुंद में सफेदपोश भू-माफिया, जमीन दलाल और राजस्व अमला मिलीभगत कर जमीन में करोड़ों का खेल कर रहे थे। वह जमीन महासमुंद शहर के हल्का पटवारी 42 के खसरा नंबर 19 की है।

यह नगर और ग्राम निवेश विभाग के मास्टर प्लान 2031 में कृषि भूमि (ग्रीन लैंड) मद में दर्ज है। इस भूमि को अन्य किसी प्रयोजन में नहीं लाया जा सकता। लेकिन साल 2022 में तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ने भूमि स्वामी बलदाऊ पिता खेदूराम चंद्राकर के नाम पर दर्ज खसरा नंबर 19 के भाग 19/3 जमीन 12 हजार वर्ग फुट का डायवर्सन कर दिया।

डायवर्सन के लिए जो दस्तावेज लगाए गए, उनमें वही लैंड यूज प्रमाण-पत्र संलग्न किया गया था, जो कूटरचित कर फर्जी तरीके से बनाया गया था। इसी फर्जी प्रमाण-पत्र के आधार पर उक्त जमीन का डायवर्सन कर दिया गया।

भागवत प्रसाद जायसवाल थे SDM

उस वक्त महासमुंद के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) भागवत प्रसाद जायसवाल थे। हैरानी की बात यह है कि उक्त जमीन के डायवर्सन के लिए भूमि स्वामी बलदाऊ चंद्राकर ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय में कोई आवेदन ही नहीं किया था। ऐसा स्वयं भूमि स्वामी बलदाऊ चंद्राकर का कहना है।

उनका कहना है कि उन्होंने अपनी जमीन खसरा नंबर 19, करीब एक एकड़ कृषि भूमि का सौदा 45 लाख रुपए में जमीन दलाल निरंजन सोनी से किया था। निरंजन सोनी के कहने पर बलदाऊ चंद्राकर के नाम से डायवर्सन के लिए सारे दस्तावेज एसडीएम कार्यालय में पेश किया था। डायवर्सन होने के बाद इस जमीन को कई टुकड़ों में बेचा गया।

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