आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है. अब एआई के जरिए कई कामों को किया जा रहा है. खास बात ये है कि अब भारत में लोगों ने एआई को भविष्य मानते हुए उसकी पढ़ाई भी शुरू कर दी है. हाल ही में आई कुछ रिपोर्ट्स और सामने आए डेटा से पता चलता है कि किस तरह भारत के युवा एआई एजुकेशन की ओर बढ़ रहे हैं. ऐसे में जानते हैं कि आखिर किस तरह लोगों ने एआई को अपनाना शुरू कर दिया है…
कोर्सेरा की नई रिपोर्ट में क्या खुलासे हुए?
कोर्सेरा की 2025 की ग्लोबल स्किल्स रिपोर्ट के अनुसार, एक साल में 26 लाख भारतीयों ने जेनएआई (एक जनरेविव एआई प्लेटफॉर्म) के एआई कोर्स में रजिस्टर किया है, इस डेटा में पिछले साल से 107% उछाल आया है. हालांकि, स्किल्स प्रोफिशिएंसी में भारत 109 देशों में से 89 स्थान पर है. रिपोर्ट के अनुसार, देश ने कोर्स रजिस्ट्रेशन में यूरोप को पीछे छोड़ते हुए अपने लर्नर बेस को 3 करोड़ यूजर्स तक बढ़ाया है.
वहीं, इससे जुड़े प्रोफेशनल सर्टिफिकेट कोर्सेज में एनरोल करने वालों की संख्या भी एक साल में 23% बढ़कर 30 लाख से ज्यादा हो गई है. अगर देश में एआई की डिमांड और इसके लिए व्यवस्था का गैप देखा जाए, तो भारत (46वें स्थान पर) बीच में कहीं आता है.
जेन-एआई पर सीखने वाले भारतीयों में केवल 30 फीसदी महिलाएं हैं, जबकि बाकी देशों में ये आंकड़ा औसतन 40% है. एनरोल करने वाले लोगों के कोर एरियाज़ पर नज़र डाली जाए तो 18% का फोकस बिजनेस, 22% का टेक्नोलॉजी और 20% का डेटा साइंस पर है.
कितने छात्रों ने किया एआई कोर्सेज में एनरोल?
वहीं, अगर छात्रों की बात करें तो देशभर में सेकेंड्री लेवल (कक्षा 9 और 10) के कुल 7,90,999 और सीनियर सेकेंड्री लेवल (कक्षा 11 और 12) के कुल 50,343 छात्रों ने 2024-25 में एआई कोर्सेज में एनरोल किया. देश के 29 हजार सीबीएसई स्कूलों में एआई कोर्सेज के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर है. ये डेटा लोकसभा में पेश किया गया है.
एआई कोर्स करने वालों के लिए खुली नई जॉब ओपनिंग
इसके अलावा फाउंडइट प्लेटफॉर्म की एक रिसर्च के मुताबिक, पिछले एक साल में किसी भी प्लेटफॉर्म पर एआई और मशीन लर्निंग से जुड़े कोर्सेज में एनरोल करने वाले लोगों में 50% की बढ़ोतरी हुई है. ऐसे लोगों के लिए मार्केट में 12 फीसदी नई जॉब ओपनिंग्स खुली हैं.