AIMPLB की मांग: जस्टिस शेखर यादव के बयान पर राजनीतिक दल करें ठोस कार्रवाई

नई दिल्ली | ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश शेखर यादव के एक पुराने बयान को लेकर सभी राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर उचित कदम उठाने की अपील की है। यह पत्र 8 दिसंबर 2024 को इलाहाबाद हाई कोर्ट परिसर में जस्टिस यादव द्वारा दिए गए विवादित भाषण के बाद से उपजे विवाद के संदर्भ में है।

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AIMPLB के महासचिव मोहम्मद फजलुर रहीम मुजद्दिदी ने गुरुवार को सभी प्रमुख दलों को ज्ञापन भेजा, जिसमें कहा गया है कि अब तक की निष्क्रियता को देखते हुए बोर्ड को यह कदम उठाना पड़ा। उन्होंने जस्टिस यादव के भाषण को संविधानवाद की आड़ में व्यक्त किया गया व्यक्तिगत और पक्षपातपूर्ण एजेंडा करार दिया है।

AIMPLB के अनुसार, न्यायाधीश का यह बयान न केवल धर्मनिरपेक्षता की भावना के विरुद्ध था, बल्कि संविधान में निर्धारित न्यायिक मर्यादाओं का भी उल्लंघन करता है।
बोर्ड ने कहा कि किसी धर्म को निशाना बनाकर दिया गया बयान, संवैधानिक पद की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, और यह एक न्यायिक पद पर बैठे व्यक्ति से अपेक्षित तटस्थता के खिलाफ है।पत्र में कहा गया कि भारत की संवैधानिक संस्कृति में आस्था और धार्मिक स्वतंत्रता को एक आवश्यक सामाजिक अंग माना गया है। ऐसे में, न्यायाधीश द्वारा धार्मिक मत पर टिप्पणी करना संविधान के अनुच्छेद 25-28 का उल्लंघन माना जाना चाहिए।

8 दिसंबर 2024 को जस्टिस शेखर यादव ने विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का समर्थन करते हुए शरीयत कानून की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि देश की व्यवस्था बहुसंख्यकों के अनुसार चलेगी, जिसके बाद राजनीतिक हलकों में भारी आलोचना हुई थी।बयान के बाद कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने जस्टिस यादव पर धार्मिक भावना भड़काने और पक्षपातपूर्ण भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाया था।AIMPLB ने कहा कि पिछले 6 महीनों में इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है और यह देश की संवैधानिक मर्यादाओं के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने सभी दलों से अपील की है कि वे इस मुद्दे को संविधान के तहत न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से उठाएं।

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