यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया है.मायावती के इस फैसले के एक दिन बाद आकाश आनंद की प्रतिक्रिया सामने आई है.
आकाश ने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा है कि ‘ मैं परमपूज्य आदरणीय बहन कु.मायावती जी का कैडर हूं, और उनके नेतृत्व में मैने त्याग,निष्ठा और समर्पण के कभी ना भूलने वाले सबक सीखे हैं, ये सब मेरे लिए केवल एक विचार नहीं, बल्कि जीवन का उद्देश्य हैं. आदरणीय बहन जी का हर फैसला मेरे लिए पत्थर की लकीर के समान है, मैं उनके हर फैसले का सम्मान करता हूं उस फैसले के साथ खड़ा हूं.
आदरणीय बहन कु. मायावती जी द्वारा मुझे पार्टी के सभी पदों से मुक्त करने का निर्णय मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से भावनात्मक है, लेकिन साथ ही अब एक बड़ी चुनौती भी है, परीक्षा कठिन है और लड़ाई लंबी है. ऐसे कठिन समय में धैर्य और संकल्प ही सच्चे साथी होते हैं. बहुजन मिशन और मूवमेंट के एक सच्चे कार्यकर्ता की तरह, मैं पार्टी और मिशन के लिए पूरी निष्ठा से काम करता रहूंगा और अपनी आखिरी सांस तक अपने समाज के हक की लड़ाई लड़ता रहूंगा.
मैं परमपूज्य आदरणीय बहन कु. मायावती जी का कैडर हूं, और उनके नेतृत्व में मैने त्याग, निष्ठा और समर्पण के कभी ना भूलने वाले सबक सीखे हैं, ये सब मेरे लिए केवल एक विचार नहीं, बल्कि जीवन का उद्देश्य हैं। आदरणीय बहन जी का हर फैसला मेरे लिए पत्थर की लकीर के समान है, मैं उनके हर फैसले का…
— Akash Anand (@AnandAkash_BSP) March 3, 2025
कुछ विरोधी दल के लोग ये सोच रहे हैं कि पार्टी के इस फैसले से मेरा राजनीतिक करियर समाप्त हो गया, उन्हें समझना चाहिए कि बहुजन मूवमेंट कोई करियर नहीं, बल्कि करोड़ों दलित, शोषित, वंचित और गरीबों के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान की लड़ाई है. यह एक विचार है, एक आंदोलन है, जिसे दबाया नहीं जा सकता. इस मशाल को जलाए रखने और इसके लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने के लिए लाखों आकाश आनंद हमेशा तैयार हैं ‘.
मायावती ने आनंद कुमार की तारीफ भी की थी
रविवार को बसपा के शीर्ष नेताओं की बैठक में मायावती ने कई बड़े बदलाव किए थे. उन्होंने अपने भाई आनंद कुमार और रामजी गौतम को राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया, जो पूरे देश में पार्टी के कामकाज को देखेंगे. मायावती ने कहा कि आनंद कुमार ने हमेशा पार्टी के लिए निष्ठा से काम किया है. उन्होंने बताया कि आनंद कुमार सरकारी नौकरी छोड़कर बसपा के लिए काम करने आए थे और पार्टी के संस्थापक कांशीराम की तबीयत खराब होने पर उनकी सेवा भी की थी. उन्होंने यह भी बताया कि उनके भाई ने अपने बच्चों की शादी राजनीतिक परिवारों में नहीं करने का फैसला किया है ताकि कोई भी पार्टी को नुकसान न पहुंचा सके.