देश के एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने डिफेंस डिलीवरी में हो रही देरी पर नाराजगी जताई है. भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चली लड़ाई के बाद अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में एयर चीफ मार्शल ने रक्षा सौदों की आपूर्ति में देरी पर निराशा जताते हुए कहा कि ‘एक भी प्रोजेक्ट- Not a single project’ समय पर पूरा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि बावजूद इसके सशस्त्र बलों ने अब तक इस समस्या पर बोलने से परहेज किया. उन्होंने अपनी बात कहने के लिए अंग्रेजी के मुहावरे ब्लैक शिप (Black sheep) का इस्तेमाल किया.
अपनी बातें खरी-खरी कहने के लिए चर्चित रहने वाले एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि करीब एक दशक पहले तक भारतीय वायुसेना अपनी खरीद के लिए मुख्य रूप से “बाहर की ओर” देख रही थी, लेकिन बाद में इसमें बदलाव आया और हमने देश के भीतर अवसरों की तलाश शुरू कर दी.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति ने “हमें यह एहसास कराया है कि आत्मनिर्भरता ही एकमात्र समाधान है”.
अपने संबोधन में वायुसेना प्रमुख ने रक्षा परियोजनाओं के पूरा होने में देरी पर दुख जताया. वायुसेना तेजस हल्के लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा की जा रही भारी देरी से परेशान है.
आगे उन्होंने डिफेंस डिलीवरी में देरी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि “इसलिए, यह ऐसी चीज है जिस पर हमें गौर करना चाहिए, हम ऐसा वादा क्यों करें जिसे पूरा नहीं किया जा सकता.” “कभी-कभी अनुबंध पर हस्ताक्षर करते समय ही हमें यकीन हो जाता है कि यह काम पूरा नहीं होने वाला है. लेकिन, हम अनुबंध पर हस्ताक्षर कर देते हैं और देखते हैं कि उसके बाद क्या किया जा सकता है.. जाहिर है कि तब तक पूरा प्रोसेस ही खराब हो जाता है.”
एयर चीफ मार्शल सिंह ने बिना संख्या बताए कहा कि जहां तक ’मेक इन इंडिया’ पहल का सवाल है, एयरफोर्स इसे अधिक से अधिक लागू करने की कोशिश कर रहा है.
उन्होंने कहा, “सरकार ने जो कुछ नियम बनाए हैं… मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हम अपने आप इस रास्ते पर आ गए होंगे. ऐसे समय थे, जब हमें हमेशा भारतीय उद्योग पर संदेह रहता था कि क्या यह हमें वह रिटर्न दे सकता है जो हम चाहते हैं, यह हमें वह प्रोडक्ट नहीं दे सकता जो हम चाहते हैं, और हम बाहर की ओर देखते थे.”
एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा, “लेकिन पिछले एक दशक से अधिक समय में चीजें काफी बदल गई हैं, हमारी आलोचना ने हमें अंदर की ओर सोचने, अंदर की ओर देखने के लिए मजबूर किया है, और तब हमें एहसास हुआ कि हां भारत के भीतर हमारे लिए बहुत सारे अवसर हैं.”
वायुसेना चीफ ने कहा कि दुनिया की मौजूदा स्थिति ने “हमें यह एहसास कराया है कि आत्मनिर्भरता ही एकमात्र समाधान है.” हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हमें भविष्य की चुनौतियों को भी ध्यान में रखना होगा.
रक्षा सौदों की डिलीवरी में हो रही देरी पर एयर चीफ मार्शल ने अपनी चिंता को दर्शकों के सामने समझाया. उन्होंने कहा, “तो यही चिंता है कि हां मैं अगले 10 वर्षों को देख सकता हूं जब इंडस्ट्री से हमें कुछ और आउटपुट मिल सकते हैं जैसे कि DRDO. लेकिन जिस चीज की जरूरत आज है वो आज ही है, इसलिए, हमें जल्दी से जल्दी अपने काम को एक साथ करने की आवश्यकता है – शायद कुछ त्वरित मेक इन इंडिया प्रोग्राम किए जाएं, ताकि हम उस अभी तैयार हिस्से को प्राप्त कर सकें. ”
वायुसेना प्रमुख ने सशस्त्र बलों और रक्षा उद्योग के बीच विश्वास बढ़ाने की वकालत की. उन्होंने कहा कि हमें निरंतर संवाद बनाए रखना होगा, एक-दूसरे के प्रति खुला होना होगा, हमें एक-दूसरे के प्रति बहुत खुला और स्पष्ट होना होगा, ताकि यह रिश्ता कहीं भी टूटे नहीं.”