समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल ही में संसद भवन के पास स्थित एक मस्जिद में पार्टी नेताओं के साथ बैठक की। इस बैठक को लेकर बीजेपी ने आरोप लगाया है कि अखिलेश यादव ने इस मस्जिद को सपा का कार्यालय बना दिया है।
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने जताई आपत्ति
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने बैठक की तस्वीरें जारी कर कहा कि ये बैठक मस्जिद में हुई है और इसमें कई सपा सांसद मौजूद थे, जिनमें रामपुर के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी भी शामिल हैं जो इस मस्जिद के इमाम भी हैं। मोर्चा ने इस राजनीतिक बैठक का विरोध करने के लिए 25 जुलाई को जुमे की नमाज के बाद इसी मस्जिद के बाहर प्रदर्शन का ऐलान किया है।
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने भी किया विरोध
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने अखिलेश यादव की इस बैठक पर कड़ी आपत्ति जताई है। बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा कि मस्जिदें पूजा और आस्था का केंद्र होती हैं, जहां राजनीतिक चर्चाएं नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मस्जिद में राजनीतिक बैठक करके मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है और इसके लिए अखिलेश यादव को माफी मांगनी चाहिए।
सोशल मीडिया पर बैठक के स्थान को लेकर विवाद
धर्मेंद्र यादव ने सोशल मीडिया पर दावा किया था कि ये बैठक संसद के पास की मस्जिद में नहीं बल्कि मोहिबुल्लाह नदवी के दिल्ली आवास पर हुई है। इस दावे को उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने खारिज करते हुए कहा कि तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि बैठक संसद मार्ग की मस्जिद में ही हुई है। उन्होंने धर्मेंद्र यादव पर जानबूझकर गलत जानकारी फैलाने का आरोप लगाया।
बीजेपी और सपा के बीच इस मस्जिद बैठक को लेकर जारी विवाद ने राजनीतिक व धार्मिक मामलों में नई बहस छेड़ दी है।