मंत्री आलमगीर आलम ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस विधायक के नेता के पद से भी त्याग पत्र दे दिया है. इसको लेकर एक पत्र उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को प्रेषित किया है. आलमगीर आलम के पुत्र तनवीर आलम ने मंत्री से इस्तीफे की पुष्टि की है. तनवीर आलम ने बताया कि जेल मैन्युअल के हिसाब से जेल प्रशासन के माध्यम से उन्होंने अपना त्याग पत्र मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को दिया है.
बता दें, 7 जून को ही मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने मंत्री आलमगीर आलम से तमाम विभाग वापस ले लिया था और अपने पास ही उनके सभी विभाग रखा है. चंपाई सोरेन की सरकार में आलमगीर आलम ग्रामीण विकास, संसदीय कार्य, ग्रामीण कार्य और पंचायती राज मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे थे.
इसके अलावा आलमगीर आलम ने कांग्रेस विधायक दल के नेता पद से भी इस्तीफा दे दिया है. इस बाबत उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अपना सीएलपी लीडर पद से इस्तीफा का पत्र भेजा है. वहीं कांग्रेस विधायक दल के नेता पद से भी इस्तीफे देने की पुष्टि झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कर दी है. उन्होंने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम लिखे इस्तीफे की एक कॉपी उन्हें प्राप्त हुई है.
ED ने पूछताछ के बाद ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को 15 मई को गिरफ्तार कर लिया था. उनके OSD संजीव लाल और उनके नौकर के घर छापेमारी के दौरान ईडी की टीम ने भारी मात्रा में नकदी बरामद किया था. इससे पहले 6 मई को ED ने मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव और झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संजीव लाल के घरेलू नौकर जहांगीर आलम के घर छापेमारी में करीब 35 करोड़ रुपए बरामद किए थे. इस छापेमारी के बाद संजीव लाल और जहांगीर आलम की भी गिरफ्तारी हुई थी.
ED ने इस जांच में कई गड़बड़ियां पकड़ी हैं. जिसमें टेंडर मैनेज करने से लेकर कमीशन तक के खेल में मंत्री आलमगीर आलम की संलिप्तता बताई जा रही है. हालांकि मंत्री पूरे मामले में खुद को निर्दोष बताते रहे हैं.
7 जून को जब मुख्यमंत्री ने आलमगीर आलम के सभी विभाग वापस ले लिए थे तब झामुमो की ओर से यह बयान आया था कि आलमगीर आलम के पास वाले सभी विभाग बेहद महत्वपूर्ण हैं और राज्य में विकास की गति धीमी न पड़े इसलिए हिरासत में चल रहे मंत्री के सभी विभाग मुख्यमंत्री ने अपने पास ले लिए हैं. कांग्रेस की ओर से आलमगीर आलम के सभी विभाग छीन लेने को मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार बताते हुए कहा गया था कि वैसे भी चुनावी आचार संहिता समाप्त होने पर आलमगीर आलम ने इस्तीफे की बात तय हो गयी थी लेकिन मुख्यमंत्री ने सभी विभाग वापस ले लिये, यह उनका अधिकार था.