अस्सी के दशक की ब्लॉकबस्टर फिल्म थी- लावारिस. इसे प्रकाश मेहरा ने प्रोड्यूस और डायरेक्ट किया था. फिल्म में अमिताभ बच्चन, जीनत अमान, राखी, अमजद खान और रंजीत ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं. वैसे तो इस फिल्म के कई गाने तब लोकप्रिय हुए थे लेकिन एक गाना उस दौर में घर-घर में खूब चर्चित हुआ था. वह था- मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है… वह गीत आज भी लोगों की जुबान पर है. अब वह क्लासिक गाना भी कहलाता है. मेरे अंगने में… गीत की लोकप्रियता की कई वजहें थीं. इस गीत की अपनी एक अलग कहानी भी है. लेकिन अहम सवाल है कि यह गाना अमिताभ बच्चन के नाम से ही क्यों जुड़ गया, जबकि लावारिस में इस गीत को चर्चित गायिका अलका याज्ञनिक ने भी गाया था.
सन् अस्सी के आस-पास अलका याज्ञनिक फिल्मों के लिए बिल्कुल नई गायिका थीं. बचपन से क्लासिकल गा रही थीं लेकिन फिल्मों में उनके कुछ ही गाने आए थे. लावारिस फिल्म का यह गीत उनके करियर के लिए गेमचेंजर भी साबित हुआ था. हर किसी ने उनकी खूब प्रशंसा की. हालांकि तेजाब फिल्म में माधुरी दीक्षित पर फिल्माये गये गीत एक.. दो… तीन ने उनको रातों रात स्टार बना दिया लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि उनकी पहचान बनाने में मेरे अंगने में… गीत की खास भूमिका रही है.
लावारिस में राखी के लिए गाया वह गाना
फिल्म की कहानी में अमिताभ बच्चन का किरदार लावारिस है. उसे युवा होने के बाद पता चलता है वह नाजायज संतान है. उसे अपने माता-पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं. फिल्म में उनके किरदार का नाम है-हीरा. फिल्म में राखी बिन ब्याही मां बनती है और जिस बच्चे को जन्म देती है, वह बड़ा होकर हीरा के रूप में अमिताभ बच्चन बनता है. फिल्म में राखी एक आर्टिस्ट हैं और वही सबसे पहले गाती है- मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है… जो है नाम वाला वही तो बदनाम है… इस गीत को अलका याज्ञनिक ने राखी के लिए गाया था. संगीतकार थे- कल्याणजी आनंद जी.
अस्सी के दशक में अलका याज्ञनिक की कोई पहचान नहीं थी. हीरोइनों के लिए लता मंगेशकर या फिर आशा भोंसले ही सबसे प्रमुख हस्ती होती थी्ं. लेकिन मेरे अंगने में… गीत के फीमेल वर्जन के लिए संगीतकार जोड़ी कल्याणजी आनंद जी ने अलका याज्ञनिक का चयन किया. इस फिल्म में ज्यादातर गाने किशोर कुमार की आवाज में थे महज एक युगल गीत.. कबके बिछड़े हुए हम आज कहां आके मिले… में किशोर कुमार के साथ आशा भोंसले ने आवाज दी थी. संयोगवश मेरे अंगने में… गीत के लिए आशा भोंसले से बात नहीं बन सकी तो अलका याज्ञनिक को मौका मिल गया. यह इतना लोकप्रिय हुआ कि वह भी मशहूर हो गईं.
जब अमिताभ बच्चन ने साड़ी पहनकर गाया
फिल्म की कहानी में आगे चलकर अमिताभ बच्चन यानी हीरा अमजद खान यानी रणवीर सिंह के संपर्क में आता है. कहानी में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान अमिताभ बच्चन इस गीत पर अनेकानेक रंग-बिरंगी साड़ियां पहनकर जबरदस्त अंदाज में परफॉर्म करते हैं. खास बात ये कि अमिताभ बच्चन ने इस गीत को खुद की आवाज में रिकॉर्ड भी किया था. उन्होंने इस गीत पर इतना उम्दा प्रदर्शन किया कि उनके प्रशंसकों के लिए यह कभी न भूलने वाला गीत बन गया. फैन्स के लिए अमिताभ बच्चन की यह एक नई सौगात थी.
अमिताभ की तरह ही अलका भी सुपरहिट
इस गाने के हर अंतरे में जिसकी बीवी कभी लंबी, कभी छोटी, कभी मोटी, कभी काली तो कभी गोरी आदि बताया जाता है और हर अंतरे के मुताबिक अमिताभ अलग-अलग मेकअप करके तरह-तरह की साड़ी पहनकर नाचते हैं लोगों का मनोरंजन कराते हैं. उस दौर में अमिताभ बच्चन की इस परफॉर्मेंस ने जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की थी. अमिताभ की आवाज में इस गीत ने अलका से अधिक चमत्कार पैदा किया था. चूंकि यह गाना मूलत: पुरुष मनोभावों को व्यक्त करने वाला है इसलिए एक पुरुष की आवाज में यह अपनी प्रकृति के अनुरूप था. लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि अलका की गायकी कहीं से भी कमतर थी. अलका को इस गीत ने स्टार बनाया था.
फिल्म में अमजद खान जब अमिताभ बच्चन से पूछते हैं कि उसने यह गाना कहां से सुना तो वह जवाब देते हैं- कि उनकी मां यानी राखी इसे गाया करती थी. इसके बाद अमजद खान को समझते देर नहीं लगती कि वह उनका ही बेटा है. इसके बाद फिल्म की कहानी में पिता-पुत्र का इमोशनल मेलो ड्रामा शुरू हो जाता है.
पहले गीतकार का नाम हरिवंश राय बच्चन था
अमिताभ बच्चन की आवाज में इस गीत को मिली लोकप्रियता की एक बड़ी वजह इसके गीतकार को लेकर हुई दुविधा भी है. जब यह गीत मार्केट में आया तब रिकॉर्ड पर इसके गीतकार का नाम हरिवंश राय बच्चन लिखा गया था. ऐसे में उनके चाहने वालों का उत्साह और भी बढ़ गया था. कवि पिता ने लिखा और कलाकार बेटे ने गाया. अमिताभ वैसे भी उस वक्त सफलता के आसमान पर थे. कुछ भी करते लोकप्रिय होते. लेकिन कई साक्ष्यों के बाद नये रिकॉर्ड से हरिवंश राय बच्चन का नाम हटाकर उसकी जगह ट्रेडिशनल लिखा गया.
साक्ष्यों से यह बात सामने आई कि मेरे अंगने में… गीत उत्तर प्रदेश का बहुत पुराना लोकगीत है. यह शादी-ब्याह के मौके पर गाया बजाया जाता रहा है. लावारिस में उस गीत को उसी के आधार पर कुछ नये शब्दों के साथ पुनर्प्रस्तुत किया गया था.