रीवा: रीवा शहर के वार्ड क्रमांक 15, रतहरी बायपास टोल प्लाजा निवासी महेश प्रसाद तिवारी ने मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के शहर कार्यालय में जूनियर इंजीनियर (जेई) प्रदीप दुबे और उनकी टीम पर बिजली चोरी के नाम पर फर्जी रिपोर्ट तैयार करने का गंभीर आरोप लगाया है.
महेश तिवारी ने अपने आवेदन में दावा किया है कि 7 मई 2025 को उनके निवास पर जेई प्रदीप दुबे द्वारा किया गया विद्युत निरीक्षण अवैध और पक्षपातपूर्ण था, जिसमें तथ्यों को छिपाकर मनगढ़ंत रिपोर्ट तैयार की गई. इस मामले ने रीवा शहर में बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और उपभोक्ता ने सात दिनों के भीतर निष्पक्ष जांच की मांग की है, अन्यथा वह न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दे रहे हैं.
महेश प्रसाद तिवारी ने मुख्यमंत्री सहित मुख्य महाप्रबंधक जबलपुर, अधीक्षण अभियंता रीवा एवं शहर कार्यपालन यंत्री रीवा सम्भाग रीवा को जांच के लिये दियें अपने आवेदन में बताया कि 7 मई 2025 को उनके निवास पर उनकी पत्नी के अलावा कोई अन्य घर का सदस्य मौजूद नहीं था.इसी दौरान जेई प्रदीप दुबे अपनी टीम के साथ विद्युत निरीक्षण के लिए पहुंचे.
तिवारी की पत्नी ने जेई से अनुरोध किया कि वह घर के सदस्यों को बुलाने के लिए फोन कर रही हैं, और उनके आने के बाद निरीक्षण किया जाए. हालांकि, आरोप है कि जेई ने इस अनुरोध को अनसुना कर सीधे घर में प्रवेश किया और निरीक्षण शुरू कर दिया। निरीक्षण के बाद, जेई ने एक पंचनामा (क्रमांक: RWA20250507142332783) तैयार किया, जिसमें दावा किया गया कि “उपभोक्ता द्वारा मीटर से पहले सर्विस लाइन काटकर नीली और लाल रंग की तार फंसाकर बिजली चोरी की जा रही थी.
जब तार जप्त करने की कोशिश की गई, तो उपभोक्ता ने ऐसा करने से मना कर दिया.” पंचनामे में यह भी कहा गया कि उपभोक्ता द्वारा अनधिकृत रूप से बिजली चोरी की जा रही है.
उपभोक्ता के आरोप
तिवारी ने इस पंचनामे को पूरी तरह से फर्जी और मनगढ़ंत करार दिया है। उनका कहना है कि उनके घर में कोई बिजली चोरी नहीं हो रही थी, और विद्युत पोल से मीटर तक की सर्विस लाइन पूरी तरह से अक्षत है.उन्होंने दावा किया कि जेई ने तथ्यों को छिपाकर और गलत जानकारी दर्ज करके उनके खिलाफ फर्जी रिपोर्ट तैयार की.जेई के निरीक्षण सीसीटीवी कैमरे में रिकार्ड है.
तिवारी ने यह भी बताया कि उस समय उनके घर पर गेट निर्माण का कार्य चल रहा था, जिसमें मिस्त्री द्वारा उपयोग किए जा रहे उपकरण घर के आंतरिक कनेक्शन से संचालित हो रहे थे, न कि किसी अनधिकृत स्रोत से। उपभोक्ता ने यह भी उजागर किया कि उनके निवास पर प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी सौर ऊर्जा योजना के तहत सोलर पैनल स्थापित किया गया हैं, लेकिन जेई प्रदीप दुबे, सहायक अभियंता, (एई) सनातन कुमार, और अन्य अधिकारियों द्वारा शिकायत की जांच नहीं की जा रही है.
जिसके चलते सौर ऊर्जा लगने के बाद मीटर नही लग पा रहा हैं. तिवारी का आरोप है कि उनकी बार-बार जांच की मांग के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई, और उल्टे उनकी शिकायतों पर बिजली कनेक्शन काटने की धमकी दी जा रही है.
महेश प्रसाद तिवारी ने मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के उच्च अधिकारियों से मांग की है कि सर्विस लाइन (IVRS 1402038146) की निष्पक्ष जांच की जाए.उन्होंने कहा कि यदि जांच में बिजली चोरी का कोई सबूत मिलता है, तो वह नियमों के अनुसार दंड भुगतने को तैयार हैं.हालांकि, यदि जेई प्रदीप दुबे की रिपोर्ट फर्जी साबित होती है, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.
तिवारी ने यह भी चेतावनी दी कि यदि सात दिनों के भीतर जांच शुरू नहीं की गई, तो वह मध्य प्रदेश शासन, कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक (जबलपुर), मुख्य अभियंता (रीवा), अधीक्षण अभियंता (रीवा), कार्यपालन यंत्री शहर (रीवा), और जेई प्रदीप दुबे, लाइनमैन सुमित पाण्डेय, और जेई ड्राइवर सुरेंद्र साहू के खिलाफ न्यायालय में याचिका दायर करेंगे। तिवारी का कहना है कि उन्होंने कई बार जांच की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। यह स्थिति बिजली विभाग के शिकायत निवारण तंत्र की प्रभावशीलता पर सवाल उठाती है।
यह मामला रीवा शहर में बिजली विभाग की कार्यप्रणाली और उपभोक्ता-अधिकारी संबंधों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। तिवारी जैसे उपभोक्ताओं का मानसिक उत्पीड़न और फर्जी आरोपों की आशंका बिजली विभाग की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकती है.
यह मामला रीवा शहर में बिजली विभाग की कार्यप्रणाली और उपभोक्ता-अधिकारी संबंधों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। तिवारी जैसे उपभोक्ताओं का मानसिक उत्पीड़न और फर्जी आरोपों की आशंका बिजली विभाग की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकती है.
साथ ही, ऊर्जा जैसी योजनाओं की जांच में देरी से सरकारी योजनाओं के प्रति जनता का विश्वास भी कम हो सकता है.महेश प्रसाद तिवारी का यह मामला न केवल एक व्यक्तिगत शिकायत है, बल्कि यह बिजली वितरण कंपनी की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को रेखांकित करता है. उपभोक्ता ने निष्पक्ष जांच की मांग के साथ यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने को तैयार हैं.
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इस मामले में कितनी गंभीरता और तत्परता दिखाती है. यदि जांच में फर्जीवाड़ा साबित होता है, तो यह अन्य उपभोक्ताओं के लिए भी एक मिसाल बन सकता है.
Advertisements