उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई में शनिवार को 22 वर्षीय आदित्य कुमार उर्फ रमन की इलाज के दौरान दुखद मौत हो गई, जिसके बाद परिसर में भारी हंगामा देखने को मिला.
मृतक के परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया है, उनका दावा है कि डॉक्टरों की अनदेखी के कारण ही उनके बेटे ने दम तोड़ा. इस घटना ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
भरथना कस्बे के ब्रजनगर निवासी आदित्य कुमार, जो किडनी की समस्या से जूझ रहे थे, को 9 जून को गंभीर हालत में सैफई विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था। 10 जून को उन्हें इमरजेंसी ट्रॉमा सेंटर के एमआईसीयू में बेड संख्या 19 पर शिफ्ट किया गया.
हालांकि, उनकी हालत में कोई अपेक्षित सुधार नहीं हुआ और उन्हें लगातार तेज बुखार बना हुआ था. मृतक की मां सुमित्रा देवी ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि शनिवार सुबह उनके बेटे की तबीयत अचानक और ज्यादा बिगड़ गई और उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी. उन्होंने तुरंत वार्ड में मौजूद स्टाफ को इसकी जानकारी दी, जिन्होंने उन्हें सीनियर डॉक्टर से मिलने को कहा। सुमित्रा देवी का आरोप है कि जब वह डॉक्टर के कक्ष में पहुंचीं और अपने बेटे की गंभीर स्थिति बताते हुए मदद की गुहार लगाई, तो डॉक्टर ने उन्हें डांटकर भगा दिया और कहा, “यहां से भाग जा, अंदर क्यों आई है।” उन्होंने यह भी बताया कि कई बार हाथ जोड़कर विनती करने के बावजूद डॉक्टर ने कोई ध्यान नहीं दिया.
सुमित्रा देवी ने रोते हुए बताया कि जब वह वापस वार्ड में लौटीं, तो उनके बेटे की हालत और भी खराब हो चुकी थी। उन्होंने दोबारा डॉक्टर से आग्रह किया, लेकिन एक बार फिर उन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया.
उन्होंने विश्वविद्यालय के मेडिसिन विभाग पर सबसे अधिक लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि यहां कोई जिम्मेदार डॉक्टर मरीजों की देखरेख नहीं करता और पूरी व्यवस्था “भगवान भरोसे” चल रही है.
इस हृदय विदारक घटना के बाद, परिजनों ने न्याय की मांग करते हुए दो वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए हैं। इन वीडियो में मां सुमित्रा देवी रोते हुए चिकित्सकों पर अपने बेटे की जान लेने का सीधा आरोप लगा रही हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रही हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, वे अपने पुत्र का शव नहीं उठाएंगे।
मृतक आदित्य कुमार मेडिसिन विभाग में डॉ. मनोज कुमार की देखरेख में भर्ती थे.
घटना की सूचना मिलते ही विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारी, सुरक्षाकर्मी और पुलिस बल मौके पर पहुंचे और परिजनों को शांत करने और समझाने का प्रयास किया, लेकिन उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ.
इस मामले पर चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर डॉ. एसपी सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि युवक को अस्पताल में गंभीर स्थिति में भर्ती किया गया था और विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा उसे समुचित इलाज प्रदान किया गया. उन्होंने आश्वासन दिया कि मौत के कारणों की विस्तृत जांच कराई जा रही है और यदि किसी भी स्तर पर लापरवाही सामने आती है, तो नियमानुसार कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.
फिलहाल, आदित्य कुमार के शव को विश्वविद्यालय के शवगृह में सुरक्षित रखवा दिया गया है. देर शाम तक भी परिजन शव के पास ही बैठे रहे और न्याय की मांग पर अड़े हुए थे। खबर लिखे जाने तक परिजन शव लेने को तैयार नहीं थे, जिससे स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई थी.