एमपी में तो गजब हो गया! पैसा था किसानों के लिए और गाड़ियों पर उड़ा 90% फंड, मंत्री बोले- तो कौन सा पहाड़ गिर गया

मध्य प्रदेश विधानसभा में हाल ही में पेश की गई कैग (CAG) रिपोर्ट ने सरकार की योजनाओं और बजट प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, जिस पैसे का उद्देश्य किसानों के सहकारी विकास को बढ़ावा देना था, उसका इस्तेमाल अफसरों ने लग्जरी गाड़ी की खरीदी में किया. कैग रिपोर्ट में बताया गया कि किसान कल्याण के लिए आवंटित ₹5.31 करोड़ में से लगभग ₹4.79 करोड़ की राशि अधिकारियों ने लग्जरी गाड़ियों की खरीद पर खर्च कर दी. ये फंड मूल रूप से किसानों के हित में योजनाएं लागू करने के लिए जारी किया गया.

रिपोर्ट में सामने आया है कि बीते पांच साल में किसानों के सहकारी विकास फंड (FDF) से जारी की गई ₹5.31 करोड़ की राशि का लगभग 90% हिस्सा, यानी ₹4.79 करोड़ सिर्फ राज्य और जिला स्तर पर वाहन, ड्राइवरों की सैलरी और गाड़ियों के रखरखाव पर खर्च कर दिया गया. यह राशि किसानों के हित में उपयोग की जानी थी. जैसे कि प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्राकृतिक आपदा के समय सब्सिडी , खाद वितरण और आधुनिक कृषि उपकरणों की उपलब्धता. मगर, इन अहम कार्यों पर महज ₹5.10 लाख रुपये यानी कुल फंड का सिर्फ 1% से भी कम खर्च किया गया.

बजट और कर्ज प्रबंधन में भी खामियां

विधानसभा में पेश हुई रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार ने ₹65,180 करोड़ का ऋण लिया लेकिन इस कर्ज का एक बड़ा हिस्सा करीब ₹21,000 करोड़ पुराने ऋण और ब्याज चुकाने में चला गया. इतना ही नहीं सरकार द्वारा पारित ₹3.72 लाख करोड़ के बजट में से केवल ₹3.04 लाख करोड़ ही खर्च किए जा सके. यानी ₹67,926 करोड़ बिना उपयोग के ही लैप्स हो गए.

इसके बावजूद दो सप्लीमेंट्री बजट के जरिए सरकार ने ₹57,963 करोड़ की अतिरिक्त राशि की मांग की. जबकि कैग के अनुसार, इसकी वास्तविक जरूरत केवल ₹28,885 करोड़ थी. इसका मतलब है कि सरकार ने ₹29,000 करोड़ से अधिक का अनावश्यक प्रावधान कर लिया. कैग रिपोर्ट में वर्ष 2017 से 2022 के बीच किसानों को आवश्यक खाद उपलब्ध न होने की बात भी उजागर हुई. उन्हें वही खाद दी गई जो उपलब्ध थी, न कि जो उनकी फसलों के लिए जरूरी थी.

उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत नमूना जांच (सैंपलिंग) का भी सही तरीके से पालन नहीं हुआ. राज्य में 18 प्रयोगशालाओं की आवश्यकता थी लेकिन सिर्फ 6 ही चालू हैं. निरीक्षकों और स्टाफ की कमी के कारण जांच प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं हो पाई. साथ ही सरकार ने खाद की मांग का अनुमान लगाते समय सब्जियों और उद्यानिकी फसलों को शामिल नहीं किया, जिससे मार्कफेड द्वारा सही मात्रा में खाद की खरीद नहीं हो सकी.

मंत्री का गैरजिम्मेदार जवाब, विपक्ष हमलावर

कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना का कहना है कि गाड़ियां खरीद ली तो कौन सा पहाड़ गिर गया. कांग्रेस के लोग भ्रामक प्रचार कर रहे हैं. प्रदेश में खाद बीज की कोई कमी नहीं है. वहीं विपक्ष सरकार पर हमलावर है. पूर्व कृषि मंत्री कांग्रेस विधायक सचिन यादव ने कहा प्रदेश में किसान परेशान हैं. खाद बीज की किल्लत है और अधिकारी अपनी सुविधाओं में गाड़ियां खरीद रहे हैं.

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