वाराणसी: भगवान शिव की नगरी काशी में 33 करोड़ देवी – देवता वास करते हैं, यहां सभी देवी देवताओं का विशेष पूजन किया जाता है, लेकिन हम आपको आज एक ऐसे राक्षसी के बारे में बताने जा रहे है, जिसका पूजन काशी में किया जाता है. जो साल भर में कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन होता है. जिसका विधि विधान से पूजा करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती है, दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की सुबह से लाइन लगी हुई है.
रावण द्वारा मां सीता का हरण कर अशोक वाटिका में रखा गया था जहां पर उनकी सुरक्षा एवं सेवा के लिए त्रिजटा नामक राक्षसी की तैनात की गई थी. रावण के कैद में मां सीता होने पर सबसे ज्यादा कोई नजदीक था तो वह त्रिजटा ही थी. जिसका काशी में एक मंदिर भी स्थापित है. जो विश्वनाथ गली स्थित साक्षी विनायक मंदिर में स्थित है, माता का दर्शन साल में केवल एक दिन कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन बाद किया जाता है.
यह त्रिजटा देवी के रूप में पूजी जाती है. उनका विशेष पूजन किया जाता है, इन्हें बैगन व मूली प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता हैं. कहा जाता है की सेवा में लगी त्रिजटा से माता सीता इतनी प्रसन्न हुई कि उसे आशीर्वाद दे दिया कि, तुम भी एक दिन पूजी जाओगी तब से काशी में मां त्रिजटा का यह मंदिर यहां विद्यमान है.
मंदिर के महंत सिद्धार्थ तिवारी ने बताया कि रावण द्वारा माता सीता को अशोक वाटिका में कैद किया गया था. जिसकी देखरेख के लिए रावण द्वारा राक्षसी त्रिजटा को रखा था. माता सीता की सेवा करने वाली त्रिजटा हर संकट एवं मुसीबत से बचाने का काम करती थी. जिसे खुश होकर माता सीता ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन तुम्हारा पूजा किया जाएगा.