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अजब पप्पू यादव की गजब राजनीति, हिना साहब बोलीं- ‘प्रवक्ता नहीं है वह मेरे’

बिहार की राजनीति या यूं कहे देश की राजनीति में एक नाम है राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव इनकी पत्नी रंजीत रंजन फिलहाल कांग्रेस से राज्यसभा की संसद भी हैं. वैसे तो पप्पू यादव अक्सर बिहार के मीडिया में सुर्खियों में रहते हैं कभी किसी को मदद करने के लिए तो कभी अपने राजनीतिक बयानों के कारण लेकिन इस वक्त पप्पू यादव समर्थन और विरोध के चक्कर में खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं. दरअसल बीते दिनों लोकसभा चुनाव के ठीक आसपास पप्पू यादव अपनी राजनीतिक दल, जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक का कांग्रेस में विलय कर दिए शर्त थी कि महागठबंधन बिहार में उन्हें पूर्णिया लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के तरफ से उम्मीदवार बनाएगी. इस बाबत बाकायदा पप्पू यादव ने राजद सुप्रीमो लालू यादव और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से मुलाकात भी किया था, फिर वह दिल्ली पहुंचे थे. वहां पर उन्होंने अपने पार्टी का विलय कांग्रेस पार्टी में कर दिया लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लालू यादव ने पूर्णिया से पप्पू यादव का टिकट कटवा दिया और यह सीट RJD के कोटे में चली गई राजद ने यहां से बीमा भारती को अपना उम्मीदवार बना दिया.

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टिकट न मिलने पर पप्पू यादव ने पूर्णिया लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव के मैदान में कूद गए, और इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया. राजनीतिक पंडितों की माने तो चुनाव परिणाम जो भी हो पप्पू यादव ने मजबूती से चुनाव लड़ा है.
पूर्णिया में जिस तरीके से चुनाव के दौरान पप्पू यादव को जनता का समर्थन देखने को मिला उसके बाद वह पूरे बिहार में घूम-घूम कर समर्थन और विरोध बांटने लगे.
पप्पू यादव ने कई सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों को तो कई सीटों पर INDI ब्लॉक के प्रत्याशियों को समर्थन देने का ऐलान तक कर डाला, जिनमें सबसे चर्चित सीट है सारण लोकसभा, पटना साहिब और पाटलिपुत्र लोकसभा सीट है.
सारण लोकसभा सीट पर पप्पू यादव ने पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना साहब को अपना समर्थन दिया है, लेकिन समर्थन देते – देते पप्पू यादव इस सीट को लेकर के भविष्यवाणी भी करने लगे. दरअसल, पप्पू यादव ने मीडिया को दिए बयान में कहा है की सारण लोकसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी हिना साहब को हम समर्थन दे रहे हैं क्योंकि वह जीतने के बाद कांग्रेस पार्टी में शामिल हो जाएंगी.

पप्पू यादव के इस बयान पर निर्दलीय प्रत्याशी और पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना साहब ने भी कड़े शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया दी है. हिना साहब ने कहा है कि पप्पू यादव मेरे पति के मित्र थे. हमारा उनका पारिवारिक रिश्ता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह हमारे प्रवक्ता हैं. चुनाव परिणाम के बाद जो भी फैसला करना होगा वह हम अपने लोकसभा के जनता से पूछ कर करेंगे. उनका यह कहना कि हम चुनाव परिणाम के बाद किसी दल में जाएंगे यह ठीक नहीं है.

इसके साथ ही पाटलिपुत्र लोक सभा सीट पर पप्पू यादव ने लालू यादव की पुत्री मीसा भारती को समर्थन दिया है. अब बड़ा सवाल यह उठता है कि जो पप्पू यादव चुनाव के दौरान पूर्णिया के जनता के सामने फूट-फूट कर रोते थे और कहते थे की लाल यादव और तेजस्वी यादव ने उनकी राजनीतिक हत्या करने की कोशिश की है. वहीं पप्पू यादव लालू परिवार के एक प्रत्याशी का समर्थन क्यों कर रहे हैं. इतना ही नहीं एक बड़ा सवाल यह उठता है कि जिन प्रत्याशियों को पप्पू यादव समर्थन दे रहे हैं क्या वे प्रत्याशी समर्थन लेने के लिए इच्छुक भी है या बिन मांगे सलाह के तौर पर पप्पू बिन मांगे समर्थन भी बांट रहे हैं.

पप्पू यादव की पिछले 10 वर्षों की राजनीति की अगर आकलन करें तो स्पष्ट रूप से एक चीज देखने को मिलता है कि उनकी राजनीति में कंफ्यूजन ही कंफ्यूजन है सॉल्यूशन का दूर-दूर तक कोई पता नहीं कभी वह लालू परिवार का विरोध करते हैं तो कभी उनके ही सामने नतमस्तक हो जाते हैं कभी वह नीतीश कुमार का विरोध करते हैं तो कभी उनकी तारीफ भी करने लगते हैं. ऐसा लगता है की लोकसभा का रास्ता ढूंढते – ढूंढते पप्पू यादव की राजनीति किसी और रास्ते पर चल पड़ी है.

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