इस साल बजट में जब इनकम टैक्स की पुरानी रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया गया, तो बड़ी संख्या में इस रिजीम को अपनाने वाले टैक्सपेयर्स को लगा कि क्या अब उनका टैक्स बोझ कभी कम होगा? अलग-अलग तरह के टैक्स के इस बोझ से सिर्फ आम आदमी ही परेशान नहीं होता है, बल्कि देश के कई बड़े उद्योगपति जैसे मुकेश अंबानी, सुनील भारती मित्तल और कुमार मंगलम बिड़ला भी इससे परेशान होते हैं. तभी तो इस एक मामले में उनका कहना है कि ‘वे टैक्स नहीं भर पाएंगे’.
दरअसल देश की तीन प्रमुख टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो का कहना है कि वह प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली पर बढ़ाए गए कस्टम ड्यूटी के बिजनेस के बोझ को उठाने में सक्षम नहीं हैं.
नोकिया, सैमसंग और एरिक्सन उठाएं बोझ
रिलायंस जियो (Reliance Jio), भारती एयरटेल (Bharti Airtel) और वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) ने नोकिया, एरिक्सन और सैमसंग जैसी 4जी और 5जी नेटवर्क गियर बनाने वाले कंपनियों से कहा है कि वह प्रिंटेड सर्किट बोर्ड पर बढ़ाई गई 5 प्रतिशत बेसिक कस्टम ड्यूटी का बोझ खुद उठाएं. वह इस राशि को चुकाने की स्थिति में नहीं हैं.
ईटी ने इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से कहा है कि इन कंपनियों का तर्क है कि वह अपने 4जी और 5जी नेटवर्क का विस्तार कर रही हैं. इतना ही नहीं उन्होंने अभी अपने 5जी नेटवर्क को मोनेटाइज नहीं किया है. ना ही उससे पैसा कमाना शुरू किया है. इसलिए वह बढ़ी हुई ड्यूटी भरने की इस स्थिति में नहीं है.
महंगे टैरिफ प्लान का फायदा भी देर से मिलेगा
देश की सभी टेलीकॉम कंपनियों ने हाल में अपने टैरिफ प्लान में भी 11 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. कंपनियों का कहना है कि इस टैरिफ हाइक का फायदा भी कंपनियों के पास अक्टूबर-दिसंबर तक ही पहुंचेगा. इसलिए वे चाहती हैं कि नेटवर्क गियर प्रोवाइड करने वाले ग्लोबल वेंडर्स बढ़े हुए टैक्स का बोझ खुद वहन करें.
कंपनियों की तरफ से ग्लोबल वेंडर्स से ये आग्रह ऐसे समय किया जा रहा है जब भारती एयरटेल और रिलायंस जियो 5जी के फेज-2 विस्तार के लिए करीब लगभग दो अरब डॉलर के नेटवर्क गियर खरीदने जा रही हैं.
रिलायंस जियो, उद्योगपति मुकेश अंबानी की कंपनी है. जबकि एयरटेल सुनील भारती मित्तल और वोडाफोन आइडिया के मालिक कुमार मंगलम बिड़ला जैसे उद्योगपति हैं.